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टोक्यो ओलंपिक 2021: अपनी हार में भी लवलीना ने असम के लिए रचा इतिहास

असम की मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन चल रहे टोक्यो ओलंपिक में तुर्की की अपनी प्रतिद्वंद्वी बुसेनाज सुरमेनेली से हार गईं, लेकिन उन्होंने न केवल देश को गौरवान्वित किया बल्कि असम के लिए इतिहास भी रच दिया है. 23 वर्षीय मुक्केबाज अपने राज्य के लिए ओलंपिक पदक लाने वाली असम की पहली खिलाड़ी बनीं. अनूप शर्मा की रिपोर्ट.

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Published : Aug 4, 2021, 8:45 PM IST

हैदराबाद :असम के सुदूर गोलाघाट जिले के बोरपाथर की रहने वाली लवलीना ने बुधवार सुबह से ही टेलीविजन सेट पर सभी को बांधे रखा. असम विधानसभा का चल रहा बजट सत्र 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विधानसभा में हर कोई न केवल सेमीफाइनल मैच देख सके बल्कि मुक्केबाज के लिए भी खुश हो सकें.

लवलीना बोरगोहेन

30 जुलाई को लवलीना ने टोक्यो ओलंपिक में भारत का पहला मुक्केबाजी पदक पक्का किया, जब उन्होंने चीनी ताइपे की पूर्व विश्व चैंपियन निएन-चिन चेन को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया.

देश के लिए कांस्य पदक हासिल करने के अलावा, लवलीना, विजेंदर सिंह (2008) और एमसी मैरी कॉम (2012) के बाद ओलंपिक में पोडियम फिनिश सुनिश्चित करने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज भी बनीं. लवलीना पहली असमिया महिला मुक्केबाज और शिव थापा के बाद दूसरी असमिया मुक्केबाज हैं जिन्होंने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है.

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उन्होंने 2018 में एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में कांस्य पदक जीता और 2020 में एशिया और ओशिनिया बॉक्सिंग ओलंपिक टूर्नामेंट में उज्बेकिस्तान के माफुनाखोन मेलिएवा को 5-0 से हराकर भारतीय ओलंपिक टीम में जगह बनाई.

असम का ओलंपिक में प्रयास

तालीमेरेन एओ

तालीमेरेन एओ, जिसे टी एओ के नाम से जाना जाता है, अविभाजित असम के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने 1948 के लंदन ओलंपिक में देश का नेतृत्व किया था. सर्वकालिक महान फुटबॉलरों में से एक के रूप में माने जाने वाले, एओ स्वतंत्र भारत की पहली फुटबॉल टीम के पहले कप्तान थे.

जिन्होंने उस समय शक्तिशाली फुटबॉल दिग्गज फ्रांस के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. 1918 में तत्कालीन अविभाजित असम के नागा हिल्स में जन्मे, एओ 1984 में ओलंपिक के लिए भारतीय दल के ध्वजवाहक भी थे. हालांकि भारतीय टीम को बर्मा के खिलाफ पहले मैच में वॉक ओवर मिला लेकिन भारतीय टीम फ्रांस से 2 से हार गई.

दीपांकर भट्टाचार्जी

1 फरवरी 1972 को गुवाहाटी में जन्मे दीपांकर भट्टाचार्जी 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भारत के ध्वजवाहक थे, जहां उन्हें चीन के तत्कालीन विश्व नंबर 1 झाओ जियानहुआ के खिलाफ प्री-क्वार्टर में 4-15, 12-15 से हार का सामना करना पड़ा था. 1996 के अटलांटा ओलंपिक में भट्टाचार्जी लगातार दो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले भारतीय पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी बने. हालांकि शुरूआती चरण में वह इंडोनेशिया के हरियंतो अरबी से हार गए.

जयंत तालुकदार

भारत के सबसे प्रतिभाशाली तीरंदाजों में से एक के रूप में सम्मानित जयंत तालुकदार ने 2012 के लंदन ओलंपिक में व्यक्तिगत और टीम दोनों स्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया. 2004 जूनियर विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले तालुकदार ने तीरंदाजी विश्व कप में व्यक्तिगत स्वर्ण भी जीता.

इसके बाद उन्होंने FITA मेटेक्सन विश्व कप 2006 में एक और स्वर्ण पदक जीता. इस आयोजन में शीर्ष पदक जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बन गए. एक अर्जुन पुरस्कार विजेता, तालुकदार ने दक्षिण एशियाई खेलों में एक और स्वर्ण पदक और 2006 एशियाई खेलों में टीम प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता.

शिव थापा

गुवाहाटी का लड़का, शिव थापा असम के सबसे प्रसिद्ध मुक्केबाजों में से एक है. जिसने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में अपना नाम बनाया है. शिवा ने 2012 के लंदन ओलंपिक में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया. इस प्रक्रिया में ऐसा करने वाले वह सबसे कम उम्र के भारतीय मुक्केबाज बन गए.

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इस आयोजन के लिए क्वालीफाई करने के लिए उन्होंने कजाकिस्तान में आयोजित एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर 2012 में स्वर्ण पदक जीता. जुलाई 2013 में शिवा बैंटमवेट वर्ग में अम्मान, जॉर्डन में एशियाई परिसंघ मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बने. उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन क्यूबा के रोबेसी रामिरेज से हार गए.

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