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Paralympics Medal Tally: जानें पैरालंपिक में भारत ने अब तक कितने मेडल किए अपने नाम

भारत ने अब तक पैरालंपिक खेलों में 12 पदक जीते हैं, जिसमें चार स्वर्ण, चार रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं. वहीं, दीपा मलिक इस फेहरिस्त में एकमात्र भारतीय महिला एथलीट हैं.

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पैरालंपिक में भारत के मेडल

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Published : Aug 21, 2021, 5:10 PM IST

हैदराबाद:हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत का शानदार प्रदर्शन रहा. ऐसे में अब बारी है, टोक्यो पैरालंपिक 2020 के आगाज की. पैरालंपिक 2020 खेलों में पैरा एथलीट यानी दिव्यांग खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं.

पैरालंपिक खेलों में इस बार भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल हिस्सा ले रहा है. 24 अगस्त से 5 सितंबर 2021 के बीच पैरालंपिक खेलों का आयोजन होना है. टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों में 22 खेलों की 539 स्पर्धाएं देखने को मिलेंगी. साल 1984 के बाद से, भारत ने प्रत्येक पैरालंपिक संस्करण में भाग लिया है. देश की आधिकारिक शुरुआत साल 1968 के पैरालंपिक में हुई थी.

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बता दें, इस बार 54 भारतीय एथलीट नौ खेलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे. भारतीय पैरा-एथलीट तीरंदाजी, पैरा कैनोइंग, एथलेटिक्स, निशानेबाजी, टेबल टेनिस, तैराकी, बैडमिंटन, पावरलिफ्टिंग और ताइक्वांडो में भाग लेंगे. पिछले पैरालंपिक के स्वर्ण पदक विजेता, हाई जम्पर मरियप्पन थंगावेलु टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारत के लिए ध्वजवाहक होंगे.

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साल 1960 में शुरू होने के बाद से पैरालंपिक खेलों के 11 संस्करण पूरे कर लिए हैं, और तब से भारतीय पैरालंपियन ने चार स्वर्ण, चार रजत और चार कांस्य सहित कुल बारह पदक अपने नाम किए हैं.

पैरालंपिक में भारत के मेडल

पैरालंपिक में भारत के मेडल

Paralympics में भारत के लिए अब तक इन खिलाड़ियों ने जीते मेडल

  • पहले पैरालंपिक पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर ने साल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दिग्गज थे. उन्होंने साल 1972 के हीडलबर्ग खेलों में पुरुषों की 50 मीटर तैराकी में 37.33 सेकंड के तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया था.
  • भीमराव केसरकर ने साल 1984 पैरालिंपिक में पुरुषों की भाला फेंक L6 में रजत पदक अपने नाम किया था, जिसकी सह-मेजबानी स्टोक मैंडेविल, यूके और न्यूयॉर्क, यूएसए ने की थी. एथलीट ने पुरुषों की 100 मीटर फ्रीस्टाइल L6 स्पर्धा में भी भाग लिया था.
  • साल 1984 में जोगिंदर सिंह बेदी ने पुरुषों की भाला फेंक L6 में कांस्य पदक जीता था. इसके साथ ही उन्होंने पुरुषों की डिस्कस थ्रो एल6 स्पर्धा में भी कांस्य पदक जीता है.
  • देवेंद्र झाझरिया ने एथेंस पैरालंपिक 2004 में पुरुषों की भाला फेंक F44/46 में स्वर्ण पदक जीता था. उन्हें साल 2012 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.
  • साल 2004 में एथेंस में राजिंदर सिंह राहेलू ने एक और पदक अपने नाम किया था. उन्होंने पुरुषों की पॉवरलिफ्टिंग, 56 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था. उन्हें साल 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
  • गिरीश एन गौड़ा ने लंदन 2012 पैरालंपिक में रजत पदक जीता था. उन्होंने पुरुषों की ऊंची कूद F42 में भाग लिया था. गिरीश ने साल 2013 में पद्म श्री दिया गया था, उसके बाद अगले साल अर्जुन पुरस्कार जीता.
  • तमिलनाडु के रहने वाले मरियप्पा थंगावेलु ने साल 2016 रियो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद F42 में स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने पदक हासिल करने के लिए 1.89 मीटर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.
  • पुरुषों की ऊंची कूद के लिए पदक पोडियम पर साल 2016 में दो भारतीयों का कब्जा था. मैयप्पा के साथ वरुण सिंह भाटी भी शामिल थे, जिन्होंने इसी स्पर्धा में 1.86 मीटर की छलांग लगाकर कांस्य पदक जीता था.
  • एथेंस में 2004 की सफलता के बाद, देवेंद्र ने रियो पैरालंपिक 2016 में अपने हाथ में स्वर्ण के साथ फिर से कमाल किया.
  • पैरालंपिक में जीतने वाली पहली महिला बनने वाली दीपा मलिक ने साल 2016 के रियो खेलों में शॉट पुट F53 में 4.61 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता था. दीपा मलिक वर्तमान में भारत की पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष भी हैं.

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