रायपुर: छत्तीसगढ़ के उत्तर क्षेत्र में मौजूद जंगलों को बचाने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण 10 दिनों में तीन सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा करके बुधवार को रायपुर पहुंचे. ग्रामीणों ने हसदेव अरण्य क्षेत्र की कोयला खनन परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग की है.
हसदेव बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य आलोक शुक्ला ने बुधवार को यहां बताया कि हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने और ग्राम सभाओं के अधिकारों के हनन के खिलाफ न्याय की गुहार लगाने के लिए लगभग 350 की संख्या में ग्रामीण तीन सौ किलोमीटर की पदयात्रा करके आज रायपुर पहुंचे. उन्होंने बताया कि इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं. शुक्ला ने बताया कि पिछले एक दशक से हसदेव अरण्य को बचाने के लिए वहां निवासरत गोंड, उरांव, पंडो और कंवर आदिवासी समुदाय संघर्षरत है. उन्होंने कहा कि यहां के ग्राम सभाओं ने क्षेत्र में कोयला खनन परियोजनाओं का विरोध किया है.
उन्होंने दावा करते हुए कहा, क्षेत्र में खनन परियोजनाओं के आवंटन और स्वीकृति प्रक्रियाओं में गड़बड़ियों को उजागर करते हुए आदिवासियों और ग्रामीणों ने 'हजारों पत्र' लिखे तथा जिम्मेदार लोगों से मिलने का लगातार प्रयास किया. आदिवासी यहां लगातार अपने जल-जंगल-जमीन तथा उसपर निर्भर जीवन-यापन, आजीविका और संस्कृति को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन जन विरोध के बावजूद क्षेत्र में खनन परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में, अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने तथा हसदेव-अरण्य क्षेत्र को बचाने के लिए बड़ी संख्या में क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों ने दो अक्टूबर गांधी जंयती के दिन सरगुजा जिले के फतेपुर गांव से पदयात्रा की शुरूआत की थी जो 10 दिन बाद आज रायपुर पहुंची. शुक्ला ने बताया कि राजधानी में पदयात्रा के पहुंचने के बाद राज्य भर से आए कई अन्य समाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने प्रदयात्रियों से मिलकर आंदोलन को समर्थन दिया.