जयपुर : अलवर के एक निजी अस्पताल में मृत मरीज को पैसे के लालच में कई दिनों तक वेंटिलेटर पर भर्ती रखने का मामला सामने आया है. मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी को पूरे मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं. वहीं दूसरी तरफ निजी अस्पताल की लापरवाही के चलते 3 दिनों तक इस मामले में मृतक के शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ.
अलवर में डॉक्टरों ने शव को रखा वेंटिलेटर पर वीरसिका गांव के मेवात के रहने वाला असलम ट्रक पर कंडक्टर का काम करता था. इंदौर से दिल्ली आते समय ग्वालियर के पास सड़क दुर्घटना में असलम गंभीर रूप से घायल हो गया. मामले की जानकारी मिलने पर परिजन मौके पर पहुंचे और घायल असलम को 1 दिसंबर को अलवर लाया गया.
अलवर के स्कीम नंबर 8 स्थित पंकज हॉस्पिटल में उसको भर्ती कराया गया. 17 दिसंबर तक डॉक्टर ने उसे आईसीयू में भर्ती रखा. इस दौरान उसकी मौत हो गई, लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा मामले की सूचना पुलिस को नहीं दी गई. इस दौरान परिजनों का आरोप है कि असलम की मौत हो चुकी थी. अस्पताल प्रशासन ने आठ लाख रुपये इलाज के नाम पर ले लिए. जब उनके पास पैसे खत्म हो गए तो उन्होंने असलम का शव पकड़ा दिया.
इस पर परिजन मेवात लेकर गए. वहां पुलिस ने कहा कि जहां इसकी मौत हुई है, वहीं पोस्टमार्टम होगा. परिजन वापस शव को अलवर लेकर आए तो सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि जिस हॉस्पिटल में इसकी मृत्यु हुई है. उस हॉस्पिटल के डॉक्टर को हॉस्पिटल बुलाया जाए और वह यह आईडेंटिफाई करें कि जिनका उनके अस्पताल में इलाज चल रहा था. वह यहीं शव है. जब हम पंकज शर्मा को उनके हॉस्पिटल बुलाने गए तो वह आज करीब छह 7 घंटे तक हमें इधर-उधर घुमाते रहे और करीब 7 घंटे बाद सरकारी हॉस्पिटल आए और यहां मेडिकल बोर्ड द्वारा शव का पोस्टमार्टम कराया गया.
असलम के परिजनों ने मामले की लिखित शिकायत पुलिस को दी है. पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है. पूरा मामला प्रशासन के संज्ञान में आया. जिसके बाद संभागीय आयुक्त ने इस पूरे मामले की जांच पड़ताल के लिए मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिए हैं.
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उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी. जिम्मेदार निजी अस्पताल संचालक के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. अलवर में निजी अस्पताल द्वारा लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई बार मामले सामने आ चुके हैं. इस हॉस्पिटल के खिलाफ कई शिकायतें भी दर्ज हुई है, लेकिन हर बार जांच पड़ताल में अस्पताल बच जाता है. आज तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.