आगरा :सुनने में यह किसी मर्डर मिस्ट्री फिल्म की कहानी सी लगेगी. लालच, साजिश, धोखा और फिर हत्या. यानी वह सबकुछ जो लोगों को रोमांचित कर दे. लेकिन यह किसी फिल्म की पटकथा नहीं है. यह हकीकत में घटित हुई वारदात है, जिसका सूत्रधार 17 साल बाद पुलिस की गिरफ्त में आया है. उसने जो बताया, उसे सुनकर पुलिस के पैरों तले की जमीन खिसक गई. दरअसल बीमा राशि के 90 लाख रुपये हड़पने के लिए उसने एक साजिश रची. किसी की हत्या की और साबित कर दिया कि लाश उसकी है. उसके अपने भी इस जुर्म में शामिल हुए. लेकिन उसे पता नहीं था कि यह राज एक दिन सामने आ जाएगा. और इसे सबके सामने आने में 17 साल लग जाएंगे.
अपनी ही मौत की रची साजिश. भिखारी को ड्राइविंग सीट पर बैठाकर कार में लगा दी आग
गुजरात पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि गाजियाबाद के दनकौर के अनिल मलिक ने जुलाई-2006 में परिजनों के साथ अपनी बीमा पॉलिसी की रकम हासिल करने के लिए पूरी साजिश रची थी. उसने 2004 में बीमा पालिसी कराई थी. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को अनिल मलिक ने बताया कि साजिश के तहत 1 जुलाई-2006 को परिजन और दोस्त के साथ कार से आगरा पहुंचा. योजना के तहत एक भिखारी को खाना खिलाने का झांसा देकर कार में बैठाया. उसे होटल में नशीला पदार्थ मिला खाना खिला दिया, जिससे वह बेहोश हो गया. इसके बाद उस भिखारी को कार में बैठाकर साथ ले गए. आगरा के रकाबगंज थाना क्षेत्र में हत्या को हादसे का रूप दिया गया. कार को खंभे से टकराया. चालक सीट पर भिखारी को बैठाया और आग लगा दी. बाद में पुलिस की छानबीन के दौरान लाश की शिनाख्त पिता विजय पाल सिंह ने अपने बेटे अनिल मलिक (39) के रूप में की. विजय पाल ने तब रकाबगंज थाना में इसकी शिकायत की थी.
भिखारी को पिता ने बेटा बता किया था अंतिम संस्कार
आरोपी अनिल मलिक ने गुजरात पुलिस को बताया कि आगरा से ही वह गायब हो गया. पिता विजय पाल सिंह ने जिस भिखारी की शिनाख्त अनिल के रूप में की थी, उसका शव अपने साथ ले गए. पैतृक गांव में भिखारी का अंतिम संस्कार कर दिया. इसके बाद बीमा पॉलिसी की रकम 90 लाख रुपये के लिए दावा किया. यह रकम उसे मिल गई. इसमें उन सबको हिस्सा मिला, जो इस साजिश में शामिल हुए थे. उसे भी बीमा राशि से हिस्सा मिल गया.
बीमा का पैसा मिलने बाद छोड़ दिया गांव
अनिल ने पुलिस को बताया कि बीमा राशि मिलने के बाद वह अहमदाबाद आ गया. कभी अपने गांव नहीं गया. नाम बदनकर ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड भी बनवाया. कार और ऑटो रिक्शा खरीद लिया. आरोपी को लेकर शुक्रवार को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की टीम ने दनकौर में स्कूल से दस्तावेज जुटाए. अहमदाबाद पुलिस की टीम आगरा भी आ सकती है. इसके साथ ही पुलिस की जांच का दायरा भी बढ़ेगा. फिलहाल इस साजिश में शामिल अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. उनके बारे में भी छानबीन की जा रही है.
यूं हुआ साजिश का खुलासा
गुजरात में रहते हुए अनिल को 17 साल हो गए. नया नाम, नई पहचान. उसने अपने गांव से भी रिश्ता रखना छोड़ दिया था. लेकिन कहते हैं कि जुर्म छिपाए नहीं छिपता. एक न एक दिन यह बाहर आ ही जाता है. यही अनिल के साथ भी हुआ. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को गोपनीय सूचना मिली कि अपनी ही मौत की साजिश रचने वाला अनिल मलिक जिंदा है. वह राजकुमार चौधरी बनकर निकौल क्षेत्र में रह रहा है. इस पर क्राइम ब्रांच ने छानबीन की. जब राजकुमार चैधरी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो उसने चैंकाने वाला खुलासा किया. बताया कि बीमा पॉलिसी की राशि हड़पने के लिए परिजनों के साथ मिलकर उसने भिखारी की हत्या की और उसे अपनी मौत साबित कर दिया. इस साजिश में अनिल का पिता, परिजन और दोस्त भी शामिल हैं.
अब स्थानीय पुलिस भी जुटी छानबीन में
आगरा के रकाबगंज थाना क्षेत्र में टक्कर रोड पर भिखारी की हत्या की गई थी. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने आगरा पुलिस को भिखारी की हत्या और इसे हादसा दिखाने के मुख्य आरोपी को दबोचने की सूचना दी. जिसके बाद आगरा कमिश्नरेट पुलिस अब दस्तावेज खंगाल रही है. अब अहम सवाल यह कि कार में जो जिंदा जलाया गया था, वो कौन था ?उसका नाम क्या था ? वह कहां का रहने वाला था ? इस बारे में डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच ने 17 साल पहले आगरा में की गई हत्या का खुलासा होने की जानकारी दी है. बीमा के 90 लाख रपये की रकम हड़पने के लिए साजिशन भिखारी की हत्या की गई थी. इस बारे में अहमदाबाद पुलिस से संपर्क करके छानबीन की जा रही है.
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