नई दिल्ली : सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने सिग्नलिंग और दूरसंचार के आधुनिकीकरण (Modernization of Signalling) के लिए 55,000 करोड़ रुपये से अधिक की निवेश योजना तैयार की है. सिग्नलिंग आधुनिकीकरण के माध्यम से रेलवे नेटवर्क क्षमता के विस्तार से रेलवे को भूमि अधिग्रहण (acquiring land) करके नए ट्रैक बिछाने (lay new tracks ) मदद मिलेगी. अब तक भारतीय रेलवे स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों (Automatic Train Protection systems) के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भर था.
भारतीय फर्मों के साथ रेलवे ने सफलतापूर्वक स्वदेशी लागत प्रभावी तकनीक एटीपी विकसित की है - जिसे ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (rain Collision Avoidance System) कहा जाता है.
रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड के सदस्य (Railway Board Member Infrastructure ) संजीव मित्तल (Sanjeev Mittal) ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन के तहत TCAS को भारत के राष्ट्रीय एटीपी के रूप में अपनाने का निर्णय लिया है.
पहले चरण में महत्वपूर्ण मार्गों को कवर करते हुए 37300 मार्ग किलोमीटर के लिए टीसीएएस को मंजूरी दी गई है. टीसीएएस के लागू होने से मानवीय त्रुटि (human error) के कारण होने वाले ट्रेन की टक्कर समाप्त हो जाएगी और भारतीय रेल की गति क्षमता में वृद्धि होगी जिससे यात्रा समय ( travel time) कम हो जाएगा.
उन्होंने आगे कहा, 'एक तकनीकी समिति ( technical committee) है, जो विश्व स्तर पर सर्वोत्तम सुविधाओं का चयन करेगी, जिन्हें टीसीएएस के लिए अपनाया जा सकता है. /u लोकोमोटिव उपकरण और ट्रैक उपकरण की लागत ईटीसीएस से सस्ती होगी.
आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा देने के लिए एक अन्य कदम उठाते हुए सरकार ने स्टेशनों और ट्रेनों में सार्वजनिक सुरक्षा और सुरक्षा सेवाओं के लिए भारतीय रेलवे को 700 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड (MHz frequency band) में पांच मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी दी है.