विशाखापट्टनम : रेलवे ने शनिवार को आंध्रा प्रदेश के विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (बीटीएस) और ड्रोन के साथ एक निगरानी प्रणाली शुरू की है. सिस्टम का उद्देश्य यात्री प्रवाह को विनियमित करना और स्टेशन पर सुरक्षा को बढ़ाना है. इस तरह की प्रणाली पाने वाला राज्य में पहला रेलवे स्टेशन विशाखापट्टनम है.
यात्रियों के प्रवाह को विनियमित करने और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए, ईस्ट कोस्ट रेलवे के वाल्टेयर डिवीजन ने विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर दो बायोमीट्रिक टोकन मशीनें लगाई हैं. इसके साथ ही रेलवे की संपत्ति की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरा भी लगाया है. मंडल रेल प्रबंधक चेतन कुमार श्रीवास्तव ने विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में इन सुविधाओं को शुरू किया.
'पहले आओ, पहले पाओ'
बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (BTS) एक ऐसी प्रणाली है, जिसके द्वारा सामान्य कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को (जहां सीटें आरक्षित नहीं होती हैं) ट्रेन के प्रस्थान से पहले एक टोकन दिया जाता है. ये टोकन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दिए जाते हैं, उन पर एक सीरियल नंबर होता है, जो उस क्रम को नियंत्रित करता है.
क्या है पूरी प्रक्रिया
इस नई सर्विस के चालू होने के बाद यात्रियों को सफर करने से पहले बायोमीट्रिक टोकन लेना पड़ेगा. ये टोकन स्टेशन पर लगे बायोमीट्रिक मशीन के जरिए मिलेगी. टोकन जारी होने के बाद ही यात्री जनरल बॉगी में बैठ सकेंगे, जिसकी वजह से ट्रेन में सीट के लिए मचने वाली अफरा-तफरी को भी रोका जा सकेगा. इसके अलावा किसी भी बड़ी दुर्घटना के समय में यात्रियों की पहचान की जा सकेगी.
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इस तरह करेगा काम
बायोमीट्रिक आइडेंटिफिकेशन टोकन में यात्रियों के फिंगरप्रिंट के माध्यम से चेहरे की पहचान की जा सकेगी. रेलवे ने इसके लिए आधार पर आधारित टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया है. जैसे आधार कार्ड के लिए यूजर्स की पहचान उनके बायोमेट्रिक डिटेल से हो जाती है. उसी तरह इस बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से यात्रियों की पहचान की जा सकती है.