कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य सरकार के बीच तनातनी चलती रहती है. अब इनकी लड़ाई संसद तक पहुंचती दिख रही है. टीएमसी सांसद आगामी बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में राज्यपाल को हटाने को लेकर संकल्प लाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ सांसद सुखेंदु शेखर इस प्रस्ताव को ला सकते हैं. गुरुवार को टीएमसी संसदीय दल की बैठक के दौरान इस पर विचार किया गया. पार्टी ने इस बैठक में बजट सत्र के दौरान अपनी रणनीति पर भी विमर्श किया.
बैठक के बाद टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि राज्यपाल की भूमिका इस वक्त अलार्मिंग स्थिति पर पहुंच चुकी है. ऐसा लगता है कि उन्हें प.बंगाल में राज्य सरकार को शर्मिंदा करने के लिए ही भेजा गया है और इसका उन्हें एक खाका सौंपा गया है. देश के राष्ट्रपति चुनकर आते हैं. उनका काफी सम्मान होता है. लेकिन राज्यपाल की नियुक्ति होती है. नियुक्ति पाने वाले ऐसे व्यक्ति राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं, वह भी उस सरकार के खिलाफ जिसे दो-तिहाई बहुमत मिला है. इसलिए इस विषय पर विचार करने की जरूरत है. हम इस विषय को लोकसभा में भी उठाएंगे.
बैठक के बाद हालांकि इसका निर्णय नहीं लिया जा सका कि बजट सत्र के दौरान पार्टी कांग्रेस के साथ किस प्रकार से तालमेल बिठाकर आगे बढ़ेगी. सुदीप बंदोपाध्याय ने इस सवाल के जवाब में कहा कि बैठक में यह विषय नहीं था, लेकिन जब जरूरत होगी, तो हम विपक्ष के साथ संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे. केंद्र सरकार पर हमला करते हुए बंदोपाध्याय ने कहा कि वह राज्य की एक चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र होकर काम करने नहीं दे रही है, वह लगातार बाधा उत्पन्न कर रही है. हम इस विषय को संसद तक ले जा रहे हैं. हम आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को लेकर लाए जा रहे नए नियमों का भी विरोध करेंगे.
राज्यपाल ने 25 जनवरी के पत्र में ममता पर संवैधानिक दायित्वों की अवहेलना का आरोप लगाया
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने दो दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो को पत्र लिखकर भी आरोप लगाया कि सभी दस्तावेज सरकार की विफलता दर्शाते हैं. राज्यपाल के मुताबिक, 'राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.' राज्यपाल का 25 जनवरी का पत्र गुरुवार को तब सामने आया, जब उन्होंने इसे अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड किया. धनखड़ ने ममता बनर्जी से पेगासस अधिसूचना और महामारी में खरीद संबंधी पूछताछ, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट और बंगाल एरोट्रोपोलिस परियोजना, जीटीए, एमएए कैंटीन और राज्य वित्त आयोग के बारे में जल्द से जल्द जानकारी उपलब्ध कराने की अपील की.
राज्यपाल ने कहा कि जानकारी पिछले साल 26 जुलाई को मांगी गई थी, लेकिन सरकार ने गैर-प्रतिक्रियात्मक रुख बनाए रखा. राजभवन से कई पत्र भेजकर जानकारी मांगे जाने का जिक्र करते हुए धनखड़ ने पत्र में मुख्यमंत्री को उनके संवैधानिक दायित्वों की याद दिलाई और कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि राज्य के मामलों और प्रशासन से संबंधित जानकारी वह प्रस्तुत करें. उन्होंने लिखा है कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी की जांच नहीं की जा सकती. जानकारी नहीं देने का संकेत यह होगा कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.