कोलकाता : ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में बंगाली उपराष्ट्रवाद की भावना का सहारा लेने का फैसला किया है. पार्टी के शीर्ष नेताओं के एक धड़े का मानना है कि भगवा खेमे के आक्रामक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के उभार के जवाब में क्षेत्रीय भावना का सहारा लिया जा सकता है. पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए अगले साल अप्रैल-मई में चुनाव होना है .
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद सौगत राय ने कहा, 'अगले विधानसभा चुनाव के दौरान विकास के अलावा बंगाली अस्मिता हमारा मुख्य चुनावी मुद्दा होगा. बंगाली अस्मिता केवल बंगालियों के बारे में नहीं है इसमें सभी भूमि पुत्रों के लिए अपील है. इस विचारधारा के जरिए राज्य के लोगों को नियंत्रित करने के लिए बाहर से लाए गए नेताओं को थोपने के भाजपा के अभियान से मुकाबला करने में मदद मिलेगी.'
तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक तमिलनाडु के क्षेत्रीय दल, महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह ही तृणमूल कांग्रेस भी बांग्ला संस्कृति और पहचान के रक्षक के तौर पर उभरना चाहती है.
तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा, 'बिहार में जद(यू) ने ‘बिहारी बनाम बाहरी’ की बात की थी. राष्ट्रवाद का सहारा लेने वाली भाजपा ने भी 2007 में गुजरात चुनाव में ‘गुजराती अस्मिता’ की बात की थी. इसलिए अगर हम ऐसा करते हैं तो हमें लगता है कि किसी को इससे दिक्कत नहीं होनी चाहिए.'
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 'विभाजनकारी राजनीति और धार्मिक ध्रुवीकरण का विकास की राजनीति से कभी मुकाबला नहीं किया जा सकता. केवल उपराष्ट्रवाद और क्षेत्रीय भावना से ही इसका मुकाबला कर सकते हैं.'
बंगाली बनाम बाहरी मुद्दा
पिछले दो सप्ताह से तृणमूल कांग्रेस ने बंगाली बनाम बाहरी का मुद्दा जोर शोर से उठाया है और ‘बंगाल बन जाएगा गुजरात’ जैसे बयान दिए हैं. बनर्जी के मुकाबले का चेहरा नहीं होने और केंद्रीय नेतृत्व पर भाजपा की 'ज्यादा निर्भरता' के कारण तृणमूल कांग्रेस को फायदा हो रहा है.