कोलकाता : टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रे ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल धनखड़ को तत्काल हटाने की मांग की है.
उन्होंने ज्ञापन में लिखा, राज्यपाल संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव में विफल रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित कानूनों का बार-बार उल्लंघन करते आए हैं.
पार्टी ने आरोप लगाया कि धनखड़ सार्वजनिक रूप से राज्य के प्रशासन और सरकार के खिलाफ टिप्पणी कर संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन कर रहे हैं.
हालांकि, भाजपा का कहना है कि राज्यपाल संवैधानिक मापदंडों के तहत ही काम कर रहे हैं, जबकि तृणमूल कांग्रेस भयभीत है.
टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रे, सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय, सांसद डेरेक ओ'ब्रायन, सांसद कल्याण बनर्जी और सांसद काकोली घोष ने भी ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को हटाने की मांग की है.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि पार्टी सांसदों की टीम ने राष्ट्रपति को पत्र भेजा जिसमें धनखड़ द्वारा हाल में ऐसे कथित उल्लंघनों की सूची दी गई है और संविधान के अनुच्छेद-156 (1) के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई है.
रॉय ने कहा, संविधान के अनुच्छेद-156की धारा 1 के तहत राष्ट्रपति की इच्छा तक राज्यपाल पद पर आसीन होता है. हम राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि इस इच्छा को वापस ले जिसका अभिप्राय है कि वह इन राज्यपाल को हटाएं.
उन्होंने कहा, हमने देखा है कि पिछले साल जुलाई में जब से वह राज्य में आए हैं वह नियमित रूप से ट्वीट कर रहे हैं, संवाददाता सम्मेलन कर रहे हैं और टेलीविजन चैनलों की चर्चाओं में शामिल हो रहे हैं जहां पर वह नियमित रूप से राज्य सरकार के कामकाज, हमारे अधिकारियों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री पर टिप्पणी कर रहे हैं. यहां तक एक बार उन्होंने विधानसभा के स्पीकर के आचरण पर टिप्पणी की. उनका ऐसा प्रत्येक कदम उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.
तृणमूल सांसद ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को असहज करने के लिए धनखड़ भाजपा नीत केंद्र सरकार की ओर से इस तरह के बयान दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, ऐसा पश्चिम बंगाल के 75 साल के इतिहास में नहीं हुआ. अगर उन्हें कुछ कहना है, तो वह संविधान में दिए गए तरीके से ऐसा कर सकते हैं न कि ट्वीट या प्रेस वार्ता करके.