अहमदाबाद : अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 'क्राउडफंडिंग' के जरिए एकत्र धन के कथित दुरुपयोग से जुड़े एक मामले में तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले (TMC spokesperson Saket Gokhale) को जमानत देने से इंकार कर दिया है. इंटरनेट के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों से धन जुटाकर किसी परियोजना या उद्म के वित्तपोषण को 'क्राउडफंडिंग' कहा जाता है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.बी. भोजक ने गुरुवार को सुनाए गए आदेश में कहा कि गोखले के खिलाफ एक मजबूत मामला बनता है और एक राजनीतिक कार्यकर्ता होने के नाते वह इस चरण में जमानत पर रिहा होने की सूरत में सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं.
इससे पहले, एक मजिस्ट्रेट अदालत ने पांच जनवरी को गोखले की पुलिस रिमांड पूरी होने के बाद उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया था. अहमदाबाद की साइबर अपराध शाखा ने इस मामले में गोखले को 30 दिसंबर को दिल्ली से गिरफ्तार किया था. उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 467 (जालसाजी) के तहत आरोप लगे हैं. अहमदाबाद शहर के एक निवासी की शिकायत पर गोखले के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसने ऑनलाइन माध्यम से गोखले को 500 रुपये चंदा देने का दावा किया था.
इससे पहले दिसंबर 2022 में अहमदाबाद की एक अदालत ने मोरबी पुल हादसे के बारे में कथित तौर पर ट्वीट करने से जुड़े मामले में तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले को जमानत दे दी थी, लेकिन मोरबी पुलिस द्वारा दर्ज एक अन्य मामले में उन्हें शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया गया था. इस बारे में सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध) जितेंद्र यादव ने कहा था कि मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एम वी चौहान ने गोखले को जमानत दी. उनके अनुसार पुलिस हिरासत खत्म हो जाने पर उन्हें अदालत में पेश किया गया था.