नई दिल्ली : लोकसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया. महुआ ने कहा कि यह सब पहले से ही तय था. उन्होंने कहा कि एथिक्स कमेटी का जिस तरह से दुरुपयोग किया गया है, यह बहुत कुछ दिखाता है. यह बहुत ही दुख की बात है कि जिस पुनीत उद्देश्य को ध्यान में रखकर एथिक्स कमेटी को बनाया गया था, उससे एक नैतिकता का नया पैमाना स्थापित होना था, लेकिन हुआ कुछ और. इसका उद्दश्य यह है कि विरोधी पक्ष को ठोक दो. कमेटी ने जो भी निष्कर्ष निकाले हैं वह दो लोगों के लिखित बयान पर आधारित है.
आपको बता दें कि टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा. उन पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप लगे थे. इसके बाद एथिक्स कमेटी ने इन आरोपों पर विचार किया था. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया. इसके बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया. इस समय सभी विपक्षी दलों ने सदन का वॉकआउट कर दिया था.
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट सदन पटल पर रखे जाने के बाद जब इस पर बहस की शुरुआत हुई, तो टीएमसी सांसदों ने बार-बार अनुरोध किया कि जो प्रभावित है, यानी महुआ मोइत्रा, उन्हें अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जाए. लेकिन स्पीकर ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि महुआ मोइत्रा को कमेटी के सामने पक्ष रखने का पर्याप्त समय मिला था.
स्पीकर ओम बिरला ने पहले की परंपरा का भी उल्लेख किया. एथिक्स कमेटी की अध्यक्षत भाजपा सांसद विनोद सोनकर कर रहे थे. कमेटी ने नौ नवंबर को महुआ को निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था. पक्ष में छह सांसदों ने मत किया था, जबकि चार सदस्यों ने असहमति जताई थी.
प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अपनी नेता का साथ दिया. ममता ने कहा कि स्पीकर ने जल्दीबाजी में फैसला लिया. ममता ने कहा कि आज संविधान की हत्या कर दी गई है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महुआ मोइत्रा को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित करने के फैसले को देश के संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात करार दिया.