कोलकाता :उत्सव के दिनों में पूजा पंडालों के पास मार्क्सवादी साहित्य के स्टाल लगाना पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों विशेषकर माकपा की हमेशा से परंपरा रही है. सीपीआई (एम) नेतृत्व का मानना है कि ये मार्क्सवादी साहित्य जनसंपर्क अभ्यास के लिए सबसे अच्छा माध्यम हैं. हालांकि बंगाली मार्क्सवादी खुद को नास्तिक होने का दावा करते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों से दूर रहने की बात कहते हैं लेकिन वामपंथी साहित्य को आगे बढ़ाने में पूजा मंच का उपयोग करने का अवसर कभी नहीं छोड़ते.
अब तृणमूल कांग्रेस भी इसी तर्ज पर चल रही है. तृणमूल कार्यकर्ता और मध्य स्तर के नेता इस साल पूजा पंडालों में मौजूद रहेंगे. इन पंडालों के स्टालों पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लिखी किताबें, उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग और राज्य सरकार की विभिन्न विकास परियोजनाओं के चित्र शामिल हैं.
तृणमूल कांग्रेस सेवादल के सदस्य, जो विभिन्न स्टालों में इन दस्तावेजों के वितरण के प्रभारी भी हैं ने कहा कि 'पिछले साल COVID-19 स्थिति के कारण, उन्होंने पूजा पंडालों के पास इन स्टालों को स्थापित करने से परहेज किया. लेकिन इस साल स्थिति बदल गई है. इस बार प्रभावित लोगों की संख्या कम है इसलिए हम इस साल स्टॉल लगा रहे हैं, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की साहित्यिक कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा. इसमें राज्य सरकार की सफलताओं का ब्योरा देने वाली पुस्तिकाएं भी होंगी.'
'जनता TMC के राजनीतिक उद्देश्य के बारे में जानें इसलिए ऐसा'
इस मुद्दे पर बोलते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पार्टी के प्रवक्ता तापस रॉय ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता साल भर लोगों के साथ रहते हैं. 'हम इन पूजा-समय के स्टालों को एक साधारण जनसंपर्क अभ्यास के रूप में नहीं देखना चाहते हैं.' उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए रोल मॉडल हैं इसलिए उनके साहित्य पार्टी के लिए संपत्ति हैं. हम चाहते हैं कि लोगों की उन तक आसानी से पहुंच हो. हम चाहते हैं कि लोग तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक उद्देश्य के बारे में जानें इसलिए हम इस बार ये स्टॉल लगा रहे हैं.'
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उधर, सीपीआई (एम) की युवा शाखा, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के सयंददीप मित्रा (Sayandip Mitra) ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि किसी भी राजनीतिक दल को पूजा पंडालों से सटे अपने स्वयं के साहित्यिक स्टाल लगाने की स्वतंत्रता है. लेकिन तृणमूल कांग्रेस के स्टालों और हमारे स्टालों में अंतर है. स्टालों के बाहर मार्क्सवादी या समाजवादी साहित्य की गैलरी प्रदर्शित होती है लेकिन तृणमूल कांग्रेस के स्टाल मुख्यमंत्री की तथाकथित और तर्कपूर्ण कला और साहित्यिक कृतियों को ही प्रदर्शित करते हैं, जबकि हमारे स्टालों का उद्देश्य जनता को समाजवादी साहित्य से जोड़ना है.