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गर्भवती महिलाओं ने पकड़ी मायके की राह, लड़कों के रिश्ते आने हुए कम, जानिए क्यों... - फर्रुखाबाद बाढ़ तबाही

जिले के इस गांव की कहानी ही कुछ ऐसी है. यहां की अधिकतर गर्भवती महिलाओं (pregnant women)ने घर छोड़कर मायके की राह पकड़ ली है. नाम सुनकर इस गांव में कोई जल्दी रिश्ता नहीं करना चाहता. यह गांव हर साल एक त्रासदी (Tragedy) से गुजरता है. इसी के साथ इसकी बदहाली में साल दर साल इजाफा (Increase in poverty year after year) होता रहता है. जानिए आखिर क्या है इस गांव की कहानी...

फर्रुखाबाद
फर्रुखाबाद

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 8:03 PM IST

फर्रुखाबाद

फर्रुखाबाद : तहसील अमृतपुर के गांव तीस राम की मढैया की जिला मुख्लालय से दूरी 20 किमी से ज्यादा नहीं होगी. इस गांव की बदहाली का आलम यह है कि दस से ज्यादा गर्भवती महिलाएं अपने मायके जा चुकी हैं. गांव के लड़कों की शादी करने में भी परेशानी आ रही है. वजह, गांव की सड़क. जिसके अब सिर्फ निशान ही बचे हैं.

हर साल तबाही मचाती है बाढ़:यहां बाढ़ ने सभी के जीवन पर प्रतिकूल असर डाला है. बीते दो महीने में बाढ़ की चपेट में सैकड़ों गांव आए. मकान, सड़क सभी राम गंगा और गंगा की चपेट में आए. बड़ी समस्या टूटी सड़कों की है. यदि कोई मरीज अस्पताल जाना चाहे तो नहीं जा सकता.

बह गईं सड़कें, अस्पताल जाना भी मुश्किल :गांव की महिलाएं राम कांति,आरती और कुसमा बताती हैं कि गंगा गांव से करीब आधा किलोमीटर ही दूर हैं. बाढ़ में सड़क टूटकर बह गई. बिजली के पोल टूट गए. बच्चे, बुजुर्ग, जवान जब बीमार जब होते हैं तो उनको अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है.

गर्भवती महिलाओं ने गांव छोड़ा :गांव की जनसंख्या करीब 600 है.जिसमें 300 महिलाएं होंगी. बताया कि करीब 10 गर्भवती महिलाएं सड़क और बिजली न होने से अपने मायके चली गई हैं. व्यवस्थाएं सही होंगी तभी वे लौटेंगी. ऐसे ही जल भराव होने के बाद दवा का छिड़काव भी नहीं कराया गया.जिसमें गांव में बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं.

लड़कों के नहीं आते रिश्ते :महिलाओं ने बताया कि गांव में लड़कों की शादी के लिए रिश्ते आने कम हो गए हैं. जो रिश्ता आता भी है, वह गांव की टूटी सड़क और खराब बिजली व्यवस्था के कारण टूट जाता है.

मुख्यमंत्री योगी ने किया था दौरा :महिलाएं बताती हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दौरा किया था. ग्रामीणों को हर मदद का आश्वासन भी मिला था. फसल नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की बात कही गई थी. लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं की गई है.

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