दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

तिपरा मोथा 2023 त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाएगा: देब बर्मन - आगामी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव तिपरा मोथा

तिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्युत देब बर्मन ने कहा कि उनकी पार्टी आगामी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में उसी दल का समर्थन करेगी जो अलग तिपरालैंड राज्य बनाने का लिखित आश्वासन देगा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

TIPRA Motha to play major role in 2023 Tripura election
Eटिपरा मोथा 2023 त्रिपुरा चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाएंगेtv Bharat

By

Published : Dec 6, 2022, 7:51 AM IST

Updated : Dec 6, 2022, 12:38 PM IST

नई दिल्ली: वर्ष 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद, देब बर्मन ने अलग तिपरालैंड बनाने के उद्देश्य से तिपरा मोथा का गठन किया. नई दिल्ली में ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में देब बर्मन ने कहा, 'हम पिछले 70 वर्षों से त्रिपुरा में पीड़ित अन्य समुदायों के साथ-साथ स्वदेशी लोगों की संवैधानिक सुरक्षा की मांग करते हैं.

तिपरा मोथा ने पिछले साल अप्रैल में त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (TTADC) का चुनाव जीता था और बीजेपी- इंडिजिनियस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) को सत्ता से बाहर कर दिया था. TTADC चुनाव में, तिपारा माथा ने 18 सीटें जीतीं, भाजपा ने नौ सीटें हासिल कीं और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई. 30 सदस्यीय टीटीएडीसी में सदस्यों द्वारा दो को मनोनीत किया जाता है. 60 सदस्यीय विधानसभा में, राज्य में TTADC में एसटी के लिए 20 आरक्षित सीटें हैं.

60 सदस्यीय विधानसभा में, राज्य में टीटीएडीसी में एसटी के लिए 20 आरक्षित सीटें हैं. देब ने कहा, 'सभी प्रमुख राष्ट्रीय दलों का कहना है कि तिपरालैंड की कोई आवश्यकता नहीं है. लेकिन, हम कहते हैं कि तिपरालैंड की आवश्यकता है. हमारी मांग के अनुसार हमने टीटीएडीसी चुनाव जीता है और भाजपा-सीपीएम-कांग्रेस सभी हार गए हैं. भाजपा ने 2018 में वाम मोर्चे को सत्ता से हटाने के बाद त्रिपुरा में सरकार बनाई.

प्रद्युत देब बर्मन

बर्मन ने कहा कि उनकी पार्टी 2023 में त्रिपुरा में 45 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. देब बर्मन ने कहा, जो पार्टियां राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के रूप में क्षेत्रीय हैं, वे मददगार साबित नहीं हुईं. देब बर्मन ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में हम केवल भूमिका निभाएंगे. लोगों को क्षेत्रीय दलों पर फिर से भरोसा जताने की जरूरत है, क्योंकि राष्ट्रीय राजनीतिक दल मददगार साबित नहीं हुए. बर्मन ने कहा कि पूर्वोत्तर नई दिल्ली से दूर हो सकता है, लेकिन हम भारतीय हैं और हमारी आवाज सुनी जानी चाहिए.'

ये भी पढ़ें- कांग्रेस में बड़ा फेरबदल: सुखजिंदर सिंह रंधावा को मिली राजस्थान की जिम्मेदारी

देब बर्मन ने अलग तिपारा भूमि की उनकी मांग को सही ठहराते हुए कहा कि जो लोग अलग राज्य की मांग कर रहे हैं, उन्हें अपनी आवाज उठाने का अधिकार है. पहले भी राज्यों का गठन किया गया था. पहले, मेघालय को भी असम से अलग करके एक अलग राज्य बनाया गया था. देब बर्मन ने कहा कि एक अलग राज्य की उनकी मांग कई प्रतिबंधित संगठनों उल्फा और अन्य जैसे संगठन द्वारा की गई मांगों से पूरी तरह अलग है. देब बर्मन ने तिपराभूमि की मांग के समर्थन में सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया.

Last Updated : Dec 6, 2022, 12:38 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details