सोलन:हिमाचल के परवाणू में स्थित टिंबर ट्रेल रोपवे हादसे (timber trail ropeway accident) में फंसे सभी पर्यटकों को NDRF की टीम ने सुरक्षित निकाल लिया है. परवाणु के टीटीआर में रोपवे में आई तकनीकी खराबी के कारण एक केबल कार बीच में ही रुक गई. जिसमें 11 पर्यटक सवार थे, बताया जा रहा है कि ये सभी पर्यटक सुबह 10.30 बजे केबल कार में बैठे थे. पुलिस और रोपवे की तकनीकी टीम ने 5 पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया लेकिन 6 पर्यटकों की जान घंटों तक हवा में लटकी रही. दिल्ली के ये सभी लोग एक ही परिवार के हैं, जो घूमने के लिए टिंबर ट्रेल रिजॉर्ट आए थे.
NDRF को रेस्क्यू के लिए बुलाया गया-दोपहर बाद रोपवे मैनेजमेंट (timber trail ropeway) की तरफ से पहले पुलिस प्रशासन को हादसे की जानकारी दी गई और फिर रेस्क्यू ऑपरेशन की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने एनडीआरएफ की टीम को बुलाया. एनडीआरएफ की टीम ने करीब 4.30 बजे सभी पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया. एनडीआरएफ की टीम ने एक अन्य केबल कार की मदद से पर्यटकों तक पहुंची और फिर रस्सी के सहारे पूरी सुरक्षा के साथ सभी पर्यटकों को एक-एक करके सुरक्षित निकाला.
प्रशासन को देर से क्यों दी गई जानकारी-इस पूरे मामले में टिंबर ट्रेल रोपवे प्रशासन सवालों के घेरे में है. अगर पर्यटक सुबह केबल कार में बैठ गए थे तो प्रशासन को सूचना देर से क्यों दी गई. सोलन एसपी वीरेंद्र शर्मा के मुताबिक दोपहर करीब 1.30 बजे उन्हें रोपवे हादसे की जानकारी मिली थी. तकनीकी खराबी के कारण एक केबल कार में 11 पर्यटकों के फंसने की सूचना मिली, जिसमें 4 महिलाएं और 7 पुरुष (tourists stranded in parwanoo timber trail) थे.
पर्यटकों ने भी उठाए सवाल- दिल्ली से आए पर्यटक गोपाल गुप्ता ने बताया कि हम 10.30 बजे ट्रॉली में बैठे थे और शाम करीब 4.30 बजे ट्रॉली से उतर पाए. गोपाल गुप्ता के मुताबिक प्रशासन ने उनकी पूरी मदद की लेकिन रोपवे प्रबंधन की तरफ से कुछ नहीं किया गया. ट्रॉली में फंसे पर्यटकों का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पर्यटक बोल रहे हैं कि उन्हें केबल कार में फंसे डेढ घंटे का वक्त हो चुका है. रोपवे प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. इनमें से कुछ बुजुर्ग भी थे जिन्होंने अपनी बीमारी और उम्र का हवाला भी दिया.
मुख्यमंत्री भी पहुंचे टिंबर ट्रेल-टिंबर ट्रेल में रोपवे हादसे की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौके पर पहुंचे. सीएम जयराम ठाकुर हमीरपुर में बीजेपी की एक बैठक में शिरकत कर रहे थे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने घटनास्थल का हवाई सर्वेक्षण भी किया. रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने रेस्क्यू टीम का आभार जताया और कहा कि मौसम की वजह से रेस्क्यू में थोड़ी दिक्कतें आई लेकिन अब पूरा परिवार सुरक्षित है.
NDRF की 14वीं बटालियन के कमांडेंट बलजिंदर सिंह के मुताबिक दोपहर करीब 2 बजे के करीब इस हादसे की जानकारी मिली थी. सोलन जिला उपायुक्त की तरफ से फोन पर हादसे की जानकारी दी गई और हिमाचल के नालागढ़ से आधे घंटे में एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया.
टिंबर ट्रेल हिमाचल का मशहूर रिजॉर्ट है. सोलन के परमाणु में स्थित इस रिजॉर्ट में हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं. ये रिजॉर्ट एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, कंपनी की तरफ से ही पर्यटकों को रिजॉर्ट तक पहुंचने के लिए एक रोपवे लगाया गया था. इस रोपवे को टिंबर ट्रेल के नाम से ही जाना जाता है. ये हिमाचल का पहला रोपवे है. इस आलीशान रिजॉर्ट से पर्यटक दूर-दूर तक कुदरती नजारों को निहार सकते हैं.
1992 में भी हुआ था टिंबर ट्रेल रोपवे पर हादसा- करीब 30 साल पहले 14 अक्टूबर 1992 को भी टिंबर ट्रेल रोपवे पर एक हादसा हुआ था. तब भी एक ट्रॉली अचानक से रुक गई थी, उस ट्रॉली में 12 लोग सवार थे. तब भी भारतीय सेना और एयरफोर्स ने ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था. इस हादसे में ट्रॉली अटेंडेंट ने जान बचाने के लिए छलांग लगा दी थी जिसमें उसकी मौत हो गई थी. रेस्क्यू ऑपरेशन 14 और 15 अक्टूबर को चला. हेलीकॉप्टर के जरिये रेस्क्यू टीम के जवान ट्रॉली की छत पर उतरे और एक-एक करके सभी 10 पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.
देवघर रोपवे हादसे की यादें हुई ताजा- गौरतलब है कि इसी साल 10 अप्रैल को झारखंड के देवघर में स्थित त्रिकुट रोपवे पर भी इसी तरह का हादसा हुआ था. जहां एयरफोर्स की टीम ने करीब 45 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन में कुल 46 लोगों को सुरक्षित निकाला गया था. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 2 लोगों की जान भी चली गई थी. बताया गया कि त्रिकुट पर्वत के टॉप पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. जिसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और रोपवे की सभी 24 ट्रॉलियां रुक गई. दो ट्रॉलियों की आपस में टक्कर भी हो गई थी जिसमें एक महिला पर्यटक की मौत हो गई थी.