चेन्नई:तमिलनाडु केतिरुपत्तूर जिला स्थित अंबूर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की ओर से रूट मार्च किया गया. रैली से पहले आरएसएस ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और संकल्प लिया. बाद में महिलाओं ने फूल बरसा कर रैली की शुरुआत की. रैली अंबूर बाइपास से शुरू होकर मुख्य सड़कों से होते हुए वापस बायपास पर समाप्त हुई. इस रैली के लिए तिरुपत्तूर जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. बालकृष्णन भी सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं. वर्तमान में एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, 5 डीएसपी, 23 निरीक्षक, 63 सहायक निरीक्षक, विशेष सहायक निरीक्षक और 601 कांस्टेबल सुरक्षा में तैनात हैं.
आरएसएस के रूट मार्च के चलते तमिलनाडु पुलिस ने राज्य भर में सुरक्षा बढ़ा दी है. आरएसएस राज्य के 45 स्थानों पर रूट मार्च करेगा. रूट मार्च रविवार शाम 4 बजे से शाम 6 बजे तक चला और प्रत्येक समापन बिंदु पर सभा हुई. गौरतलब है कि आरएसएस ने अक्टूबर 2022 में रूट मार्च निकालने का अनुरोध किया था लेकिन तमिलनाडु पुलिस ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि झड़पें हो सकती हैं. पुलिस ने केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2022 में इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने का हवाला दिया और कहा कि अगर आरएसएस का रूट मार्च होता है तो राज्य के कुछ हिस्सों में उनपर हमले हो सकते हैं और उन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
आरएसएस ने मद्रास उच्च न्यायालय की एकल पीठ से संपर्क किया. कोर्ट ने केवल तीन स्थानों कुड्डालोर, पेर्मबलूर और कल्लाकुरिची क्षेत्रों में मार्च आयोजित करने की अनुमति दी. 6 नवंबर, 2022 को मार्च निकाला गया और कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. आरएसएस ने बाद में मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया, जिसने एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए पूरे राज्य में रूट मार्च करने की अनुमति दी, तब राज्य सरकार ने खंडपीठ के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने अपील खारिज कर दी और मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ के फैसले को बरकरार रखा.