बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद में स्थित कतर्नियाघाट 551 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस जंगल को देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी सैलानी आते हैं. सैलानी यहां जंगल सफारी का लुफ्त उठाते हैं. यह जंगल बाघों को खूब भा रहा है. यहां 5 सालों के भीतर बाघों की संख्या में दोगुने का इजाफा हुआ है.
इस जंगल को देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी सैलानी आते हैं. बता दें कि यहां पर घड़ियाल सेंटर भी बनाया गया है जिसको लोग काफी पसंद करते हैं. ताजा सर्वे में यहां बाघों की तादाद में दोगुने का इजाफा मिला है. वर्ष 2018 में यहां कुल 29 बाघ थे जबकि अब 59 हो गए हैं. वन विभाग के द्वारा बाघों की गणना के लिए 251 कैमरे लगाए गए. वन विभाग ने 251 जगहों पर नाइट विजन कैमरे लगाए थे, जिनके आधार पर नर और मादा बाघ की पहचान कर ली गई है.
551 वर्ग किलोमीटर में फैला है जंगल. कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग को 1975 में अभ्यारण का दर्जा दिया गया था. यहां पर बाघों के संरक्षण के प्रयास लगातार सरकार के द्वारा किए जा रहे हैं. 2018 की गणना के अनुसार कतर्नियाघाट में बाघों की संख्या 29 पाई गई थी. यहां पर गेरुआ और कौड़ियाला नदी के साथ दो दर्जन तालाबों में पर्याप्त पानी है. यहां बाघों के लिए अनुकूल माहौल भी है. उनके शिकार के लिए हिरन, नीलगाय ,जंगली सूअर की अच्छी तादाद भी है. दुधवा से संबंधित कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार बाघों के प्राकृतिक वास के लिए सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया है. इस कारण यहां बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
डीएफओ कतर्नियाघाट आकाशदीप ने बताया कि वर्ष 2023 की गणना के अनुसार कतर्नियाघाट में बाघों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. बाघों का प्रजनन बढ़ा हैं. हम लोगों ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य 2030 तक रखा था जो कि समय से पहले ही पूरा हो गया. बाघों की संख्या का बढ़ना एक अच्छा संदेश है. बाघों के संरक्षण के साथ और भी जंगली जीवों के संरक्षण के लिए भरपूर प्रयास होते रहेंगे.
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