कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क में ग्लोबल टाइगर डे मनाया गया. रामनगर (उत्तराखंड):29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे के रूप में मनाया जाता है. बाघों के बचाने के लिए 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से इसकी शुरुआत हुई थी. बाघों को बचाने में भारत का भी बड़ा योगदान है. दुनिया में सबसे ज्यादा टाइगर भारत में पाए जाते हैं. खास बात है कि बाघों का संरक्षण में उत्तराखंड की भूमिका भी काफी अहम है. इंटरनेशनल टाइगर डे पर जारी हुए देश में बाघों की संख्या में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर आ गया है. उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बाघ रामनगर स्थित विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हैं.
उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या. रामनगर के विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में इंटरनेशनल टाइगर डे पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम में उत्तराखंड के लोक कलाकारों के द्वारा कई सांस्कृतिक झलकियां प्रस्तुत की गई. कार्यक्रम के दौरान बाघों की संख्या के आंकड़े जारी किए गए.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बताया कि उत्तराखंड में कुल बाघों की संख्या 560 है. जबकि कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या का आंकड़ा बढ़कर 260 हो गया है. मंत्री अश्विनी चौबे ने बताया कि देश में बाघों की संख्या के मामले में प्रथम स्थान मध्य प्रदेश, दूसरा कर्नाटक और तीसरे स्थान पर उत्तराखंड रहा है.
बता दें कि 2006 की गणना में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क में लगभग 150 बाघ थे. 2010 में 184, 2014 में 215 और 2019 की गणना में कॉर्बेट में 250 से अधिक बाघ मिले थे. जबकि 2021-22 में की गई गणना के नतीजों में ये संख्या 250 से बढ़कर 260 हो गई है. इस लिहाज से कॉर्बेट पार्क में 10 बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है.
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वहीं, कार्यक्रम में मौजूद मध्य प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने बाघों के संरक्षण पर मध्य प्रदेश का पहला स्थान आने पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी कर्मचारी-अधिकारी बधाई के पात्र हैं. उन्होंने बाघों के संरक्षण को लेकर जनता के सहयोग को भी अहम बताया. उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं रोकने को लेकर सरकार लगातार प्रयासरत है. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में यदि कोई भी इंसान बाघ का शिकार हो जाता है तो पहले सरकार द्वारा उसके परिजनों को 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दिया है.
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