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Tibet issue: नेहरू ने जो किया वह भारत के हित में था: पेनपा सेरिंग - नेहरू ने वही किया जो उन्हें भारत के हित में सबसे अच्छा लगा

तिब्बत की निर्वासित सरकार केंद्रीय तिब्बत प्रशासन के अध्यक्ष पेनपा सेरिंग ने कहा कि बहुत से लोगों का मानना है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तिब्बत पर चीन की संप्रभुता को मान्यता देकर बड़ी गलती की थी.

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Published : Apr 29, 2022, 9:19 PM IST

वाशिंगटन: तिब्बत की निर्वासित सरकार केंद्रीय तिब्बत प्रशासन के अध्यक्ष पेनपा सेरिंग ने कहा कि बहुत से लोगों का मानना है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तिब्बत पर चीन की संप्रभुता को मान्यता देकर बड़ी गलती की थी. लेकिन उन्होंने वही किया जो उन्हें भारत के हित में सर्वक्षेष्ठ लगा. सेरिंग ने हालांकि यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें लगता है कि भारत ने इस मामले में अपना रुख 2014 के बाद से बदला है.

सेरिंग यहां राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों और अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के सदस्यों से मुलाकात करने के लिए आए हैं. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि तिब्बत पर नेहरू का निर्णय दुनिया को लेकर उनके अपने दृष्टिकोण पर आधारित था और उन्हें चीन पर बहुत अधिक विश्वास था. उन्होंने कहा कि केवल भारत ने ही बहुत से देशों ने तिब्बत पर चीन की संप्रभुता को स्वीकार किया.

सेरिंग ने कहा कि मैं केवल पंडित नेहरू को यह करने का जिम्मेदार नहीं ठहराता. हम समझते हैं कि हर देश के लिए राष्ट्र हित सबसे पहले आता है और उन्होंने उस वक्त वहीं किया जो उन्हें भारत के हित में सर्वश्रेष्ठ लगा. उन्होंने कहा कि अब बहुत से लोग सोचते हैं कि पंडित नेहरू ने भयंकर गलती की थी. बल्कि तथ्य यह है कि वह चीन पर बेहद भरोसा करते थे कि और कुछ लोगों का मानना है कि जब चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण किया तो इससे उन्हें बहुत सदमा लगा था और उनके निधन का एक कारण यह भी था.

हालांकि सेरिंग ने पत्रकारों से कहा कि भारत में 2014 के बाद से चीजें बदली हैं. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि तिब्बत पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) का हिस्सा है, यह बात नहीं दोहराकर भारत ने अपनी नीति में बदलाव किया है, क्योंकि भारत की स्थिति यह है कि भारत को एक चीन नीति का पालन करना होगा तो चीन को भी कश्मीर के संबंध में एक भारत नीति का पालन करना होगा.

यह भी पढ़ें- निर्वासित तिब्बत सरकार: पेंपा सेरिंग ने ली राष्ट्रपति पद की शपथ

चीनी सैनिकों के साथ डोकलाम तथा गलवान घाटी में जारी गतिरोध पर सेरिंग ने कहा कि जब कुछ माह पहले चीन के विदेश मंत्री आए थे (भारत) तो यह ट्रांजिट (पारगमन) यात्रा ज्यादा प्रतीत हुई. उस यात्रा से कोई निष्कर्ष नहीं निकल कर आया. यह अपने आप में ही तिब्बत और चीन के प्रति भारत की नीति को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन का मुद्दा छाया हुआ है लेकिन बाइडेन प्रशासन तिब्बत को नहीं भूला है. सेरिंग ने व्हाइट हाउस और कांग्रेस से चीन के खिलाफ एक वैश्विक गठबंधन बनाने और तिब्बत पर उसके विमर्श को चुनौती देने की अपील की. उन्होंने कहा कि तिब्बत कभी चीन का हिस्सा नहीं रहा.

(पीटीआई-भाषा)

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