नई दिल्ली :दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में चंद्रशेखर और उसकी पत्नी एवं अभिनेत्री लीना मारिया पॉल के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र में यह आरोप लगाया था. पुलिस ने यह आरोपपत्र रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक की पत्नी से कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की ठगी करने के मामले में दाखिल किया था.
पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह के समक्ष दाखिल अपनी अंतिम रिपोर्ट में दावा किया कि चंद्रशेखर जेल के अंदर एक राजा की तरह रहता था. इसने दावा किया कि वह खुद को उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी बताकर जबरन वसूली के लिए एक मोबाइल नंबर का उपयोग कर रहा था.
अदालत के समक्ष दाखिल आरोपपत्र में कहा गया है कि अनभिज्ञ उपयोगकर्ताओं की मोबाइल स्क्रीन सरकारी कार्यालयों की लैंडलाइन नंबर और ट्रू-कॉलर मोबाइल एप्लिकेशन (Truecaller Mobile Application) के जरिए कुछ उच्च सरकारी अधिकारियों के नाम दिखाती थी.
आरोपपत्र के अनुसार मामले में गिरफ्तार उप जेल अधीक्षक डीएस मीणा, सह-आरोपी दीपक और प्रदीप रमनानी से हर पखवाड़े 60 से 75 लाख रुपये वसूलते थे. आरोपपत्र के अनुसार यह राशि इसलिए ली जाती थी ताकि चंद्रशेखर की सुरक्षा और सुविधाएं जारी रहें जिससे वह अपना उगाही का रैकेट चलाता रहे. इसके अनुसार राशि जेल अधिकारियों के बीच बांटी जाती थी.
मीणा की ओर से पुलिस को दिए गए इकबालिया बयान को उद्धृत करते हुए आरोपपत्र में कहा गया है कि इसमें से करीब 50 लाख रुपये सहायक अधीक्षक (एएस) के ऊपर के अधिकारियों को और 10 लाख रुपये एएस के स्तर से नीचे के अधिकारियों को दिए जाते थे.
इसमें दावा किया गया कि चंद्रशेखर को रहने के लिए एक पूरी बैरक दी गई थी, जहां वह देर तक काम करता रहता था और सीसीटीवी में उसकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने से रोकने के लिए अपारदर्शी पर्दे लटकाए गए थे. आरोपपत्र में कहा गया है कि वह एक राजा की तरह जेल में रह रहा था.
उसे दी गई सुविधाओं के चलते ऐसा लगता है कि रोहिणी जेल के सभी अधिकारी उसमें शामिल थे. अन्य सभी कैदियों से खाली एक पूरा बैरक उसे दिया गया था. उसने सीसीटीवी कैमरों को भी कवर करवा दिया था. वह एक साल से जबरन वसूली का रैकेट चलाने के लिए अपने मोबाइल का खुलेआम इस्तेमाल कर रहा था.