कोच्चि : कैथोलिक चर्च त्रिशूर ने निष्कर्ष निकाला है कि पिनाराई विजयन शासन ने केरल को एक ऐसी भूमि में बदल दिया है जहां भगवान की महिमा और लोगों के लिए शांति गायब हो गई है. चर्च के नए साल के प्रकाशन के अंक में यह इसके संपादकीय का विषय रहा है. शीर्षक 'सरकार की भूमिका शांति प्रदान करना है' विजयन सरकार के प्रति अपने असंतोष की कहानी कहता है.
यह इसका मुख्य कारण बताता है कि विजयन सरकार लोगों से दूर हो गई है और प्रस्तावित विझिंजम बंदरगाह, बफर जोन और बैक डोर नियुक्तियों के विरोध ने शासन पर गंभीर सेंध लगा दी है. यह बताता है कि विजयन सरकार के फैसले लोगों के लिए कयामत पेश कर रहे हैं और उनमें अशांति पैदा कर रहे हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि निर्णय लेने वाले यहां के लोगों की चाहतों और जरूरतों को महसूस करने में असमर्थ हैं. यह कहकर संपादकीय समाप्त होता है कि चीजों को बदलना होगा. नहीं तो 'नए केरल' का सपना सपना ही रह जाएगा.
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गौरतलब है कि इससे पहले केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर निशाना साधते रहे हैं. पिछले साल नवंबर में उन्होंने कहा था कि उनके अधीन एक भय शासन है. खान ने कहा कि केंद्र सरकार के एक सचिव मुझसे आकर मिलना चाहते थे और तभी उन्हें अचानक पता चला कि मुख्यमंत्री भी यहां ठहरे हुए हैं. उन्होंने मेरे स्टाफ को फोन किया और कहा कि मैं आज नहीं आऊंगा, नहीं तो वे उन्हें रिपोर्ट करेंगे. खान ने कहा था कि लोग काली शर्ट पहनकर जनसभा में जाते हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है. क्या यह डर का शासन नहीं है?
खान ने सीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम के सचिव जिन्हें बर्खास्त कर दिया गया था, वह सीएम की जानकारी के बिना मामले में शामिल लोगों को संरक्षण दे रहे थे? यदि हां, तो यह सीएम की क्षमता का प्रतिबिंब है. राज्यपाल ने आगे केरल के मुख्यमंत्री पर उनकी कॉल का जवाब नहीं देने का आरोप लगाया था.
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