बेंगलुरु: आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए तीन प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं. इन घोषणापत्रों को देखकर साफ है कि तीनों राजनीतिक दलों ने जनता को मुफ्त उपहार देने की घोषणा की है. तीनों दलों के घोषणापत्रों के अनुसार, उन्होंने महिलाओं और किसानों को केंद्र में रखकर योजनाओं की घोषणा की है. कांग्रेस, बीजेपी और जेडी (एस) ने बीपीएल कार्ड धारकों के लिए और अधिक गारंटी की घोषणा की है. विडंबना यह है कि फ्रीबीज यानी रेवड़ी का विरोध करने वाली भाजपा भी इसके के आगे झुक गई है.
कांग्रेस पार्टी लगातार दो महीने से मुफ्त गारंटी की घोषणा कर रही है. रेवड़ी कल्चर का विरोध कर रही भाजपा ने भी सोमवार को इसका एलान किया है. यहां तक कि कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस भी मुफ्त की घोषणा करने में पीछे नहीं रही. ऐसा प्रतीत होता है कि तीनों दलों ने आर्थिक रूप से पिछड़े मतदाताओं को लक्षित करने की गारंटी की घोषणा की है.
चुनावी मुफ्त उपहारों से करदाताओं पर बोझ बढ़ता है. यह आत्मनिर्भरता को रोकता है और नई तकनीकों में निवेश को प्रतिबंधित करता है. मुफ्त उपहार देने का कदम राष्ट्र के हित में नहीं है, पीएम मोदी ने अपने नवीनतम चुनावी भाषण में यह बात कही. भाजपा नेता भी कांग्रेस द्वारा अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए दिए गए 'मुफ्त उपहारों' के वादे पर हमला करते रहे हैं.
बीजेपी ने सोमवार को राज्य चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया और सभी बीपीएल परिवारों को 3 एलपीजी सिलेंडर और 5 किलो मुफ्त बाजरा देने का वादा करके कल्याणकारी राजनीति में कांग्रेस को पछाड़ने की कोशिश की. इसने घोषणापत्र को विजन डॉक्यूमेंट कहा है, राजनीतिक रूप से संवेदनशील अमूल-नंदिनी विवाद को यह घोषणा करके समाप्त करने का भी प्रयास किया है कि एक बार पार्टी सत्ता में आने के बाद, वह हर बीपीएल परिवार को आधा लीटर नंदिनी दूध प्रतिदिन उपलब्ध कराएगी. जद (एस) ने हाल ही में जारी अपने घोषणापत्र में कहा कि वह नंदिनी ब्रांड को बचाएगी और विलय के सभी प्रयासों को रोक देगी.
इस बार भाजपा ने राज्य भर में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने के लिए नगर निगमों के प्रत्येक वार्ड में एक अटल आहार केंद्र खोलने का भी वादा किया है. पार्टी ने राज्य भर में 300 मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा कैंटीन स्थापित करने का भी वादा किया है. पार्टी ने इस उद्देश्य के लिए गठित एक समिति की सिफारिशों के आधार पर कर्नाटक में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन का भी वादा किया.