पटना म्यूजियम के अस्तित्व को बचाने के लिए कूदे संदीप पांडे पटना:राजधानी पटना की ऐतिहासिक विरासत पटना म्यूजियम या कहें जादूघर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. सरकार के फरमान से म्यूजियम के सामने संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. दरअसल पटना म्यूजियम और बिहार म्यूजियम को सुरंग के जरिए जोड़े जाने की योजना है. इसके साथ ही पटना म्यूजियम की विरासत को बिहार म्यूजियम स्थानांतरित करने का सरकार ने फैसला लिया है.
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पटना म्यूजियम को बिहार म्यूजियम शिफ्ट करने का विरोध: मैग्सेसे अवार्ड से पुरस्कृत संदीप पांडे ने भी बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और संग्रहालय के समक्ष तेज बारिश के बावजूद धरने पर बैठ गए. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान संदीप पांडे ने कहा कि पटना संग्रहालय ऐतिहासिकता को समेटे हुए है. आज भी भवन की खूबसूरती बरकरार है. राहुल सांकृत्यायन ने चार दुरूह यात्राओं के जरिए पांडुलिपियों और पुरातात्विक वस्तुओं को इकट्ठा किया था. सारी धरोहरें आज भी यहां मौजूद हैं, लेकिन इसे स्थांतरण किया गया तो ये नष्ट हो सकती हैं.
"राहुल सांकृत्यायन द्वारा लाई गई 6000 पांडुलिपियों यहां रखी हुई हैं. अंग्रेज इंग्लैंड ले जाना चाहते थे. डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा और काशी प्रसाद जायसवाल की वजह से पुरातात्विक सामग्रियों को पटना म्यूजियम में रखा गया. अब सरकार इसे दूसरे जगह ले जाना चाहती है, यह कतई सही नहीं है. इसको तत्काल रोका जाना चाहिए. आने वाले दिनों में हम सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन करेंगे."- संदीप पांडे, मैग्सेसे अवार्ड से पुरस्कृत
जया सांकृत्यायन ने पत्र लिखकर जताया था विरोध: आपको बता दें कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन पटना संग्रहालय के सबसे बड़े दानदाता हैं और दानदाता की पुत्री जया सांकृत्यायन ने पटना संग्रहालय की रक्षा के लिए 2017 और 2023 में अब तक मुख्यमंत्री के पास दो बार पत्र लिखकर विरोध जता चुकी हैं. 2017 को जया सांकृत्यायन ने पत्र में लिखा था " बहुत खेद और विस्मय से यह ज्ञात हुआ है कि पटना के बुद्धमार्ग स्थित पटना संग्रहालय को 9 सितम्बर, 2017 से बन्द कर दिया गया है और इस अन्तराल में उसकी बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहर का स्थानान्तरण किया जायेगा.यह खबर किसी देश प्रेमी, इतिहासवेत्ता, कलाप्रेमी और आम नागरिक के लिए अत्यन्त सोचनीय है.
''बिना किसी ठोस मकसद के इस तरह भारत की धरोहर को शिफ्ट किया जाना बेहद गलत है. देश के अन्य बुद्धिजीवी वर्ग जो भारत के ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहर और इतिहास को समझते हैं वह भी मामले पर सामने आएंगे. इस मामले पर बिहार सरकार खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दो बार पत्र लिखकर ऐसा न करने की गुजारिश की थी लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है."-जया सांकृत्यायन, राहुल सांकृत्यायन की बेटी
सरकार का तर्क:दरअसल, 16 मार्च 2023 को नीतीश सरकार ने एक गजट जारी किया है जिसमें कहा गया है कि "पटना म्यूजियम का भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप प्रबंधन और संचालन के लिए बिहार म्यूजियम समिति से कराए जाने का निर्णय लिया जाता है." वहीं नीतीश कुमार का मानना है कि बिहार म्यूजियम अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
समाजसेवी का बयान:पटना म्यूजियम के खूबसूरती 100 साल पूरे होने के बाद भी बरकरार है. म्यूजियम में रखे पुरातात्विक साक्ष्य और पांडुलिपियां म्यूजियम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाती है. समाजसेवी पुष्पराज भी म्यूजियम को बचाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.
"सरकार म्यूजियम के अस्तित्व को मिटाना चाहती है. पटना म्यूजियम बिहार निर्माता डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा का ड्रीम प्रोजेक्ट था और इसे बचाना बिहारवासियों का कर्तव्य है."- पुष्पराज, समाजसेवी
1917 में पटना म्यूजियम का निर्माण: पटना म्यूजियम के भवन को मुगल राजपूत यानी इंडो सारसैनिक शैली से बनाया गया था. बिहार निर्माता डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा की मांग पर म्यूजियम अस्तित्व में आया था. पटना म्यूजियम का निर्माण 1917 में पूरा हुआ था. भवन के केंद्र में सुंदर छतरी चारों कोनों पर गुंबद और झरोखा शैली की खिड़कियां म्यूजियम को विशिष्ट बनाती है.
कई विरासतों को संजोए है पटना म्यूजियम:पटना म्यूजियम में महात्मा बुद्ध का अस्थि कलश, 200 मिलियन वर्ष प्राचीन 53 फीट लंबा देश का सबसे बड़ा फॉसिल्स ट्री, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में लिखे गए महापंडित राहुल सांकृत्यायन के द्वारा भारतीय इतिहास की तिब्बत से लाई गई 6 हजार से ज्यादा दुर्लभ पांडुलिपियां, मोहनजोदड़ो के पुरातत्वों, सबसे बड़े पुरामुद्रा बैंक, यक्षिणी और बुद्धिस्ट पुरातत्व मौजूद हैं. इस वजह से पटना संग्रहालय दुनियां में विशिष्ट व चर्चित रहा है.
पटना म्यूजियम में अनमोल धरोहरें: बुद्धिस्ट पुरातत्वों के लिए प्रसिद्ध 106 वर्ष प्राचीन विश्व ख्याति के संग्रहालय को निहारने लोग देश-विदेश से आते हैं. दरअसल बिहार सरकार ने पटना म्यूजियम के ऐतिहासिक और पुरातात्विक बहुमूल्य वस्तुओं को नए म्यूजियम में शिफ्ट कर रही है. बिहार सरकार का यह कदम इतिहासकारों को नागवार गुजर रहा है. देशावर के इतिहासकार समाज सेवी और बुद्धिजीवी सरकार के फैसले का मुखालफत कर रहे हैं. महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने 1929 से 1938 के बीच चार बार तिब्बत की कठिन यात्राएं की थी. वो तिब्बत से बौद्ध के प्रज्ञापारमिता, शतसाहस्रिता जैसे अनमोल ग्रंथ लाए थे.
373 करोड़ की लागत से सुरंग का निर्माण: सुरंग का प्रवेश मार्ग बनाने के लिए पटना की सबसे खूबसूरत इमारत (हेरिटेज बिल्डिंग) पटना संग्रहालय भवन के पिछले हिस्से को तोड़ने की योजना पर रोक लगाने की मांग भी उठ रही है. समाजसेवियों का कहना है कि पटना संग्रहालय से बिहार संग्रहालय को जोड़ने के लिए 373 करोड़ की लागत से सुरंग बनाने का निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिवालियापन का प्रतीक है. गरीब प्रदेश में बेवजह सुरंग बनाने की योजना जनता के पैसों की बर्बादी है. इस सुरंग के निर्माण से इतिहास, पुरातत्व व संग्रहालय का रत्ती सा भी विकास संभव नहीं है. इस सुरंग निर्माण योजना को तत्काल रद्द किया जाए