लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बिजली की खपत कम करने और पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए प्रदेश सरकार लगातार सोलर एनर्जी पर ध्यान केंद्रित रही है. ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं. जिससे ऊर्जा की खपत कम हो सके. ग्रीन एनर्जी की तरफ लोगों का रुझान हो, ज्यादा से ज्यादा लोग सोलर पैनल लगवाएं, इसके लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही है. हर रोज प्रदेश भर में सोलर पैनल के हजारों कनेक्शन हो रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार और अतिरिक्त ऊर्जा श्रोत विभाग का ध्यान इस ओर जा ही नहीं रहा है कि सोलर पैनल की उम्र 20 साल होती है और इनके खराब होने के बाद रीसाइक्लिंग की क्या व्यवस्था की जाए? अगर इनके रिसाइक्लिंग की व्यवस्था नहीं की गई तो पर्यावरण के लिए यह लाभदायक होने की वजह हानिकारक होंगे. वैज्ञानिक अब सोलर पैनल को लेकर चिंता जताने लगे हैं. इसी माह के आखिर में फ्रांस के रोशी शहर में सोलर पैनल की रीसाइक्लिंग के लिए पहला रिसाइक्लिंग प्लांट शुरू हो रहा है. अब शायद अपने देश और प्रदेश में भी सरकार रीसाइक्लिंग की तरफ ध्यान दे.
बन रहे सोलर पार्क, स्थापित की जा रहीं परियोजनाएं
उत्तर प्रदेश में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के मकसद के साथ उत्तर प्रदेश की सरकार ने उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति लागू की. सौर ऊर्जा नीति 2013 के तहत 2017 तक जो 500 मेगावाॅट का लक्ष्य तय किया गया था. उसके एवज में कुल 420 मेगावाॅट क्षमता की सौर पाॅवर परियोजनाओं की स्थापना प्रदेश में की जा चुकी है. सोलर पार्क योजना के अंतर्गत प्रदेश में 365 मेगावाॅट क्षमता के सोलर पार्क भी विकसित किया जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के जालौन, कानपुर देहात, मिर्जापुर और प्रयागराज में कुल 365 मेगावाॅट के सोलर पार्क बनाए जा रहे हैं.
निर्धारित किया गया बड़ा विद्युत उत्पादन लक्ष्य
इस नीति के तहत साल 2026-27 तक सौर ऊर्जा परियोजनाओं में 22 हजार मेगावाट क्षमता विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उत्तर प्रदेश में इस लक्ष्य को 14 हजार मेगावाॅट यूटिलिटी स्केल सौर पाॅवर प्रोजेक्ट अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर पार्कस, 6000 मेगावाॅट सोलर रूफटॉप और 2000 मेगावाॅट क्षमता पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत निजी ऑन ग्रिड पम्प का सोलराइजेशन और इससे अलग कृषि विद्युत फीडरों का सोलराइजेशन किया जाना है. इसमें पांच मेगावाॅट क्षमता या इससे ज्यादा क्षमता के चार घंटे के बैटरी स्टोरेज सिस्टम के साथ स्थापित यूटिलिटी स्किल्स और विद्युत परियोजना और स्टैंडअलोन बैटरी स्टोरेज सिस्टम (सौर ऊर्जा से ही ऊर्जीकृत होता है) पर ढाई करोड़ प्रति मेगावाॅट की दर से पूंजीगत उत्पादन उपलब्ध कराया जाएगा. राज्य के बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्र में stand-alone सौर पाॅवर परियोजनाओं की स्थापना पर सोलर पाॅवर परियोजनाओं की स्थापना और ग्रिड संयोजन के लिए अधिकतम 20 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें बनाई जाएंगी.