हरिद्वार : नागा संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में अगामी पांच अप्रैल को संन्यास दीक्षा का बृहद आयोजन किया जाएगा. यह जानकारी जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सचिव व कुंभ मेला प्रभारी महंत महेशपुरी ने दी है.
संन्यास दीक्षा के लिए सभी चारों मढ़ियों, जिसमें चार, सोलह, तेरह और चौदह मढ़ी शामिल हैं, उन नागा संन्यासियों का पंजीकरण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जो भी पंजीकरण के आवेदन आ रहे हैं, उन सबकी बारीकी से जांच की जा रही है. केवल योग्य एवं पात्र साधुओं का ही चयन किया जा रहा है.
महंत महेशपुरी ने बताया कि नागा संन्यासी बनने के लिए कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है. इसके लिए सबसे पहले नागा संन्यासी को महापुरुष के रूप में दीक्षित कर अखाड़े में शामिल किया जाता है. तीन सालों तक महापुरुष के रूप में दीक्षित संन्यासी को संन्यास के कड़े नियमों का पालन करते हुए गुरु सेवा के साथ-साथ अखाड़े में विभिन्न कार्य करने पड़ते हैं. तीन साल की कठिन साधना में खरा उतरने के बाद कुंभ पर्व पर उन्हें नागा बनाया जाता है.
उन्होंने बताया कि नागा संन्यास प्रक्रिया शुरू होने पर सबसे पहले सभी नागा साधु संन्यास लेने का संकल्प करते हुए पवित्र नदी में स्नान करेंगे. इतना ही नहीं उन्हें अपना श्राद्ध-तपर्ण कर मुंडन करवाना पड़ता है. तत्पश्चात सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड, कंमडल धारण करते हैं. इसके बाद पूरी रात्रि धर्मध्वजा के नीचे बिरजा होम में सभी संन्यासी भाग लेते हैं. चारू दूध, अज्या यानि घी की पुरुष सुक्त के मंत्रों के उच्चारण के साथ रात भर आहूति देते हुए साधना करते हैं.