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Family Court Raipur: नशे के कारण टूट रहे परिवार, एक साल के भीतर कुटुंब न्यायालय में 961 तलाक के केस

वर्तमान समय में परिवार में टकराव और अलगाव के मामले तेजी से बढ़े हैं. एक साल में Raipur Family Court में 961 मामले आए तो वहीं महिला आयोग में हर माह औसतन 100 मामले पहुंचे. ज्यादातर मामलों में टकराव और मारपीट की वजह पार्टनर का नशे का आदी होना बताया गया. Divorce increasing due to alcohol addiction

Family Court Raipur
नशे के कारण टूट रहे रिश्ते

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Published : Jan 24, 2023, 6:41 PM IST

नशे के कारण टूट रहे रिश्ते

रायपुर:रिश्तों में बंधना आसान है लेकिन उसे निभाना उतना ही मुश्किल काम है. कई उतार-चढ़ाव को समझने और समझाने के बाद ही एक रिश्ता मुकम्मल हो पाता है. कुछ लोग जल्दबाजी या अपने इंपल्सिव नेचर की वजह से रिश्ते निभाने में नाकाम हो जाते हैं. रिश्ते को बोझ समझकर उससे मुक्ति पाने कभी कोर्ट की शरण तो कभी महिला आयोग की शरण लेते. कुछ ऐसे ही केसज के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कुटुंब न्यायालय और राज्य महिला आयोग में एक साल के भीतर आए मामलों का अध्ययव किया.

नशा और एक्सट्र मैरिटल अफेचर तोड़ रहे रिश्ते:कुटुंब न्यायालय में अक्सर म्यूचुअल डिवोर्स के केस आते हैं. इसकी वजह कभी नशा, कभी मारपीट तो कभी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होती है. 19 वर्ष से 30 वर्ष के लोग ज्यादातर कुटुंब न्यायालय में तलाक के मामले लेकर आते हैं. इस आयु वर्ग के लोगों में समझदारी थोड़ी कम होती है और ईगो बहुत ज्यादा होता है. इन्हीं आदतों की वजह से वे अपने रिश्ते को निभाने में असफल रहते हैं. कुटुंब न्यायालय की काउन्सलर अनीता पिल्ले ने बताया "अधिकांश मामलों की जड़ नशा होता है, तो अवैध संबंध, पति का न कमाना, घर में बीवी का काम नहीं करना आदि भी कभी-कभी कलह के कारण बनते हैं."

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19 से 30 वर्ष के लोगों की संख्या है अधिक:न्यायालय के शासकीय वकील और काउंसलर शमीम बताती हैं कि "सबसे ज्यादा मामले छोटी उम्र के आते हैं जो कि 19 से लेकर 30 साल तक के होते हैं. क्षणिक प्रेम के प्रभाव में आकर मंदिरों में जाकर शादी विवाह तो कर लेते हैं, लेकिन एक महीने में उनके वैचारिक मतभेद उभरकर सामने आ जाते हैं. इस कारण अक्सर आपसी सहमति के साथ कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी देने आ जाते हैं. 1 दिन में ऐसे सात से आठ केस आ रहे हैं, जिसमें कोशिश होती है कि तलाक से पहले काउंसलिंग करके इनके मतभेद दूर किए जा सकें."


कुटुंब न्यायालय में आने वाले केस

माह दर्ज केस निराकृत लंबित
जनवरी 62 48 1162
फरवरी 64 41 1185
मार्च 105 107 1187
अप्रैल 86 140 1130
मई 64 80 1114
जून 106 90 1128
जुलाई 86 90 1124
अगस्त 69 71 1123
सितंबर 37 90 1064
अक्टूबर 93 82 1078
नवंबर 107 127 1061
दिसंबर 82 66 1076

महिला आयोग में भी हर माह औसतन 100 केस:छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक ने बताया कि "आयोग में प्रतिमाग लगभग 100 से अधिक मामले आते हैं. यदि एवरेज की बात की जाए तो प्रतिदिन तीन से चार मामलों का एवरेज आता है. अभी हमारे पास मेंटल टॉर्चर वाले केस सबसे ज्यादा आ रहे हैं. डावरी प्रॉब्लम से लेकर प्रॉपर्टी डिस्प्यूट केसेज की संख्या भी ज्यादा होते हैं."


जनसुनवाई में बातचीत से समाधान निकालने का होता है प्रयास:किरणमई नायक ने बताया कि "राज्य महिला आयोग की जनसुनवाई में दोनों पक्षों की काउंसलिंग की जाती है. यदि दोनों पक्ष बातचीत और आपसी समझ से समाधान निकाल लेते हैं तो काउंसलिंग के दौरानबात आगे नहीं बढ़ती. वहीं यदि समाधान नहीं निकलता है तो उन्हें कोर्ट में जाने तक की भी मदद महिला आयोग द्वारा की जाती है."

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