हैदराबाद : अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां के हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं. सभी देश अपने नागरिकों को वहां से निकालने में लगे हैं. भारत ने भी अपने नागरिकों को विशेष विमान लगा रखे हैं. इन सब के बीच भारत में पढ़ रहे 11000 हजार से ज्यादा अफगान छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
भारत भर के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में करीब 11,000 से अधिक अफगान छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. 5,000 सिर्फ महाराष्ट्र में हैं, जिनमें से 3000 पुणे और 700 मुंबई में हैं. महाराष्ट्र में करीब 1800 अफगान लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं.
अफगान स्टूडेंट्स एसोसिएशन ऑफ पुणे (ASAP) के अध्यक्ष वली आर. रहमानी ने बताया कि इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (ICCR) के आंकड़ों के मुताबिक, 2,500 से कम छात्र यहां सरकारी छात्रवृत्ति पर हैं, और उन्हें चिंता का कोई कारण नहीं है. हालांकि, रहमानी ने कहा कि स्व-वित्त के माध्यम से यहां रहने वाले बाकी लोग अपने परिवारों के साथ संचार टूटने के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं.
रहमानी ने कहा कि अन्य छात्र जिन्होंने पहले ही वर्तमान शैक्षणिक वर्ष (2021-2022) के लिए प्रवेश ले लिया है, उन्हें बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि वे अफगानिस्तान में गंभीर स्थिति को देखते हुए घर से वित्त की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं. रहमानी ने कहा कि 'पिछले कुछ महीनों में 500 से अधिक छात्र छुट्टियों या कोविड महामारी या अन्य कारणों से अफगानिस्तान लौट गए थे. वहां की राजनीतिक स्थिति में बदलाव के साथ, वे अपनी शिक्षा को फिर से शुरू करने के लिए भारत की यात्रा करने में असमर्थ हैं.
500 छात्रों का वीजा समाप्त
पुणे स्थित एनजीओ सरहद (Sarhad) के अध्यक्ष संजय नाहर (Sanjay Nahar) ने कहा, ' उनका व्यावहारिक रूप से परिवारों, रिश्तेदारों और दोस्तों से संपर्क कट गया है. रहमानी का कहना है कि यहां रहने वाले 500 छात्रों का भारतीय वीजा समाप्त हो गया है या समाप्त होने के कगार पर है. नाहर ने कहा कि भारत सरकार, अफगान प्राधिकरण और गैर सरकारी संगठन ने यहां और अफगानिस्तान में फंसे छात्रों की मदद के लिए हर संभव प्रयास शुरू किए हैं.