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दफन होती परंपरा : संगम की रेती पर बसा 'लाशों का संसार' - संगम की रेती

उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक गंगा नदी में पाए गए शवों के साथ ही गंगाघाट में दफन किए गए शवों की तस्वीरों ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. कानपुर, उन्नाव, गाजीपुर, रायबरेली, बलिया समेत कई जगहों पर गंगा घाट में शवों के दफन होने की खबरें आती रहीं. प्रयागराज में भी गंगा के किनारे रेती में हजारों शव दफन मिले, शनिवार को ड्रोन से लिए गए विजुअल सामने आए हैं.

संगम की रेती पर बसा 'लाशों का संसार'
संगम की रेती पर बसा 'लाशों का संसार'

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Published : May 22, 2021, 9:08 PM IST

प्रयागराज : कोरोना काल के दौरान देश में लगातार हो रही मौत को लेकर हर कोई सहमा है. इस दौरान गंगा के किनारे मिल रहे दफन शवों ने हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. प्रयागराज में भी गंगा के किनारे रेती में हजारों शव दफन मिले.

प्रयागराज में बालू में दफन लाशें

शवों को देख घाटों पर आने से कतराने लगे लोग

संगम नगरी में नैनी इलाके में देवरख घाट पर इतने शव दफना दिए गए कि लोग यहां आने से कतराने लगे. तेज हवा चलने के बाद देवरख घाट के गंगा किनारे जहां तक रेती में नजर जाती है, हर तरफ दफनाए गए शव दिखाई पड़ने लगे. इसके साथ ही देवरख घाट पर सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार भी किया गया.

खास रिपोर्ट

घाट पर इतनी बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार और दफनाए जाने की वजह से हालत यह हो गई कि लोगों ने स्नान करना भी बंद कर दिया. मौतों का सिलसिला इतना ज्यादा रहा कि शहर के श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ गई. जिसकी वजह से शवों के अंतिम संस्कार को लेकर मारामारी तक की नौबत आ गयी थी. इसके बाद देवरख व दूसरे घाटों पर शवों को गंगा किनारे रेती में दफना दिया गया.

हर तरफ दिख रहा लाशों का अंबार

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जहां तक जाए नजर, वहां तक शव आए नजर

कुछ ऐसा ही नजारा श्रृंगवेरपुर घाट का भी दिखा. श्रृंगवेरपुर घाट पर भी जहां तक नजरें जा रही थीं, वहां तक शव ही शव नजर आ रहे थे. घाट पर पहुंचने वाले लोगों का कहना था कि इससे पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में शव न तो दफनाए गए और न ही जलाए जाते थे.

उनका कहना था कि इस घाट पर इक्का-दुक्का शव ही अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते थे. आसपास के लोगों के मुताबिक शव दफनाने की परंपरा की वजह से कुछ लोग शवों को दफनाते हैं. लेकिन, बड़ी संख्या में लोग आर्थिक तंगी की वजह से भी शवों का अंतिम संस्कार करने की जगह उनको गंगा किनारे घाटों पर ले जाकर बालू में दफना देते हैं. उन्होंने इसके पीछे महीने भर से लागू लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया.

स्थानीय लोगों के मुताबिक रोज कमाने खाने वालों का कामकाज इन दिनों बंद है, ऐसे में बहुत से लोगों ने आर्थिक तंगी की वजह से शव को लाकर गंगा के किनारे दफना दिया.

आवारा कुत्ते शवों को बनाने लगे निवाला

रेती उड़ने के बाद जब शव खुले में आ गये तो आवारा कुत्ते शवों को नोच-नोचकर खाने लगे. इस भयावह वीडियो के सामने आने के बाद हर तरफ गंगा किनारे शवों को लेकर उठ रहे सवाल तेज हो गए. प्रशासन भी मौके पर लगातार निगरानी रखने लगा. स्थानीय लोग जो घाटों पर पहुंच रहे थे, वह भी सरकार से मांग करने लगे कि शवों को बचाया जाना चाहिए.

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हरकत में आया प्रशासन

हरकत में आए प्रशासन ने घाट पर शवों को दफनाने पर रोक लगा दिया. लगातार घाटों पर पहुंचने वाले शवों की चिता के लिए घाट तक लकड़ी पहुंचाने के इंतजाम किए गए. घाट पर किसी भी शव को दफनाने से रोकने के लिए कहा गया. इसके लिए प्रशासन ने समितियों का गठन किया.

आवारा कुत्तों से बचाने के लिए घाटों पर खुले दिख रहे शवों के ऊपर मिट्टी डालकर ढकवाया गया. हालांकि शवों की संख्या को देखते हुए प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती ही साबित हुई.

फाफामऊ घाट पर भी शवों के ऊपर मिट्टी डालकर ढक दिया गया. मौके पर प्रशासन के लोग मौजूद थे और वो दावा कर रहे थे कि फाफामऊ घाट पर कोई भी शव खुले में नहीं है. लेकिन, उसी घाट पर कुत्ता दफन शव को नोच रहा था.

हकीकत यह थी कि घाट पर जिनकी ड्यूटी लगाई गई थी, उनका ध्यान भी इस ओर नहीं जा रहा था. बहरहाल, घाटों के किनारे दफन शवों को तो मिट्टी डालकर ढका जा सकता है लेकिन लोगों के दिलोदिमाग में बस गईं ये तस्वीरें बरसों तक बनी रहेंगी.

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