जम्मू कश्मीर से जुड़े दो अहम विधेयकों को मंजूरी: राज्यसभा में शाह बोले-अनुच्छेद 370 पर SC का फैसला विपक्षी दलों की बड़ी हार - गृह मंत्री अमित शाह
राज्यसभा ने जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी है. उससे पहले चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा. HM Amit Shah in Rajya Sabha, Article 370,
नई दिल्ली : राज्यसभा ने सोमवार को जम्मू कश्मीर से जुड़े दो अहम विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी, जिनमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों में आरक्षण के साथ ही विधानसभा सीटों की संख्या में वृद्धि के प्रावधान हैं.
उच्च सदन ने 'जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023' और 'जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023' को चर्चा के बाद ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी. दोनों विधेयकों पर एक साथ चर्चा हुई. लोकसभा इन विधेयकों को पहले ही पारित कर चुकी है. चर्चा के दौरान शाह ने यह भी आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 'गलतियों' के कारण नुकसान उठाना पड़ा. इस क्रम में उन्होंने 'असामयिक' संघर्षविराम और कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने जैसे फैसलों को गिनाया. गृह मंत्री अमित शाह के जवाब से अंसुष्ट विपक्ष के कई सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया.
गृह मंत्री शाह ने अपने जवाब में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय का फैसला विपक्षी दलों की बड़ी हार है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का है और उसे 'हमसे कोई छीन नहीं सकता.'
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के संबंध में केंद्र के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय का फैसला विपक्षी दलों की बड़ी हार है और जो लोग कहते हैं कि अनुच्छेद 370 'स्थायी' है, वे संविधान और संविधान सभा का अपमान कर रहे हैं.
शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के निर्णय को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के संविधान की कोई वैधता नहीं रह गई है. उनके जवाब के बाद सदन ने दोनों विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी. शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में तीन परिवारों ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत सत्ता का आनंद लिया तथा 75 वर्षों तक लोगों को विभिन्न अधिकारों से वंचित रखा.
'उचित समय पर बहाल होगा पूर्ण राज्य का दर्जा' : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को देश को आश्वस्त किया कि आतंकवाद से मुक्त 'नए और विकसित कश्मीर' के निर्माण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा.
राज्यसभा में उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के उच्चतम न्यायालय के सोमवार के फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि अब केवल 'एक संविधान, एक राष्ट्रीय ध्वज और एक प्रधानमंत्री' होगा.
नेहरू पर साधा निशाना :उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि वह अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं देख पा रहा है जबकि पूरा देश समझ गया है कि कश्मीर मुद्दे से निपटने में पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की गलती थी. शाह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है और कोई भी इसे छीन नहीं सकता.
नेहरू, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों की ओर इशारा करते हुए शाह ने आरोप लगाया कि तीन परिवारों ने कश्मीर के अनुसूचित जनजाति और गरीब लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया क्योंकि जम्मू-कश्मीर में पहले कई कानून उनपर लागू नहीं होते थे. उन्होंने कहा, 'वे (विपक्ष) बदलाव नहीं देख पाएंगे, उनके चश्मे में समस्या है. वे अपनी गलती सुधारने को तैयार नहीं हैं. लेकिन लोग अब उनकी परवाह नहीं करते हैं. पूरा देश समझ गया है कि यह नेहरू की गलती थी.'
उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग के खिलाफ होने के लिए कांग्रेस पर भी हमला बोला और आरोप लगाया कि उनकी वजह से ही जम्मू-कश्मीर में विभिन्न योजनाओं के तहत ओबीसी को आरक्षण नहीं मिला, जिसे अब नए विधेयकों में सुनिश्चित किया गया है. शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा ओबीसी और उनके अधिकारों का विरोध करती रही है क्योंकि उन्होंने मंडल आयोग का भी विरोध किया था. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी ने हमेशा अन्य पिछड़ा वर्ग और उनके अधिकारों का विरोध किया है.'
'आतंकवाद से मुक्त होगा कश्मीर' :उन्होंने कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके के लोगों के लिए 24 सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया है. शाह ने कहा, 'मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से वादा किया है कि कश्मीर के युवा अब बंदूक या पत्थर नहीं उठाएंगे और इसके बजाय लैपटॉप लेकर चलेंगे.'
उन्होंने कहा, एक 'नए कश्मीर' के निर्माण की शुरुआत हो चुकी है जो आतंकवाद से मुक्त होगा. एक 'नए और विकसित' कश्मीर की नींव रखी गई है और जब भारत विकसित हो जाएगा तो कश्मीर अन्य राज्यों के बीच समान रूप से खड़ा होगा, जहां दुनिया भर से पर्यटक आएंगे.' शाह ने कहा, 'हम कश्मीर के लोगों, उसके युवाओं और बच्चों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम उनके प्रति संवेदनशील हैं, आतंकवादियों के प्रति नहीं.' उन्होंने कहा, 'उच्चतम न्यायालय का फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है और मैं इसका स्वागत करता हूं. अब केवल एक संविधान, एक झंडा और एक प्रधानमंत्री होगा.'
भ्रष्टाचार पर साधा निशाना : शाह ने झारखंड के एक कांग्रेस सांसद से जुड़ी एक कंपनी पर आयकर के छापों के दौरान भारी मात्रा में नकदी बरामद होने को लेकर कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन पर निशाना साधा और आश्चर्य जताया कि कांग्रेस ने उन्हें अभी तक निलंबित क्यों नहीं किया है. उन्होंने कहा कि बैंक मशीनों ने भी हार मान ली है और नोटों की गिनती पांच दिनों से अधिक समय से जारी है.
चार घंटे से ज्यादा चली बहस :दोनों विधेयकों पर चार घंटे से अधिक समय तक बहस हुई. इन विधेयकों में जम्मू-कश्मीर में कुछ समुदायों को आरक्षण प्रदान करने के अलावा कश्मीरी प्रवासी समुदाय से दो सदस्यों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित करने का प्रावधान है.
शाह के जवाब के बाद राज्यसभा ने सोमवार को ध्वनिमत से दोनों विधेयकों को मंजूरी दे दी. इन्हें पिछले सप्ताह लोकसभा ने पारित किया था. गृह मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से संबंधित लाए गए दो विधेयक उन लोगों को न्याय दिलाएंगे जो पिछले 75 वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित हैं. उन्होंने कहा कि विस्थापित लोगों को आरक्षण उन्हें विधायिका में आवाज देगा. कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने हालांकि गृह मंत्री के जवाब के दौरान बीच में ही सदन से बहिर्गमन किया.
जानिए बिल के बारे में : जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन करता है. यह अनुसूचित जाति और जनजाति तथा अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करता है.
वहीं,जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करता है. प्रस्तावित विधेयक से विधानसभा सीटों की कुल संख्या बढ़कर 83 से बढकर 90 हो जाएगी. इसमें अनुसूचित जाति के लिए 7 सीट और अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीट आरक्षित हैं. साथ ही उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से एक महिला सहित दो सदस्यों को विधानसभा में नामांकित कर सकते हैं.