प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की मौत के 40वें दिन जहां कब्र पर फूल चढ़ाए जाने थे, वहां कांटों वाली झाड़ियां पड़ी हुई दिख रही थीं. अतीक अशरफ का चालीसवां आज यानी गुरुवार को है. इस दिन माफिया बंधुओं की कब्र पर फूल चढ़ाना तो दूर उस पर पड़ी कांटों वाली झाड़ियों तक को किसी ने नहीं हटाया. जबकि अतीक-अशरफ जब जिंदा थे तो लोग उनके चलने वाले रास्तों पर फूल बिछाने को तैयार रहते थे. लेकिन, आज उन्हीं माफिया बंधुओं की कब्र पर कोई एक फूल तक लेकर चढ़ाने नहीं गया.
संगम नगरी प्रयागराज के शहर पश्चिमी विधानसभा से पांच बार विधायक रहे और फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने अतीक अहमद के जिंदा रहते हुए जहां प्रयागराज से लेकर देश के अलग अलग हिस्सों में उसकी हनक रसूख और दबदबा दिखता था, उसी अतीक अहमद के चालीसवें के दिन उसके अपने शहर और पुश्तैनी कब्रिस्तान में उसकी कब्र पर कोई दो फूल तक चढ़ाने नहीं गया है.
चालीसवें पर क्या-क्या होता है अतीक अहमद के घर से लेकर उसके पुश्तैनी कब्रिस्तान तक में मातमी सन्नाटा देखने को मिला. अतीक अहमद के साथ रहने वाले लोगों के साथ ही उसके करीबी और दूर के लोग भी अब उसके परिवार से संबंध नहीं रखना चाहते हैं. शायद यही वजह है कि अतीक अहमद के चालीसवें पर न तो उसकी कब्र पर फूल चढ़ाए गए और न ही चालीसवें से जुड़ी किसी तरह की कोई रस्म अदायगी की गई.
बताया जाता है कि मुस्लिम समुदाय में जब किसी की मौत होती है तो परिवार के सदस्य व दूसरे करीबी दोस्त रिश्तेदार सुबह के समय कब्र पर जाते हैं और वहां फूल माला के साथ चादर भी चढ़ाते हैं. इसके साथ ही कब्र के पास फातिहा पढ़ा जाता है. घर पर फातिहा पढ़ने के साथ ही गरीबों जरूरतमंदों और अपनों को भोजन करवाया जाता है. लेकिन, अतीक अशरफ के चालीसवें के मौके पर ऐसा कुछ भी कब्रिस्तान से लेकर उनके पुश्तैनी घर पर देखने को नहीं मिला. ऐसे में ये संभावना जताई जा रही है कि हो सकता है कि अतीक अशरफ के किसी करीबी ने चालीसवें के मौके पर चुपचाप रस्म अदायगी कर दी हो.
ये भी पढ़ेंः सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने विनेश फोगाट को अब बताया कैकेई, पहले कहा था मंथरा