मुंबई : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिखकर कहा है कि वह महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले के 'गुस्से' की वजह से उनके साथ काम करने में असमर्थ हैं. थोराट के एक सहयोगी ने यह दावा किया है. थोराट के करीबी सूत्रों ने बताया है कि उन्होंने इस्तीफा 2 फरवरी को ही भेज दिया था. पटोले ने पुणे में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें नहीं लगता कि थोराट ने ऐसा कोई पत्र लिखा है और वह इस पत्र की विषयवस्तु जानने के बाद ही टिप्पणी कर पाएंगे.
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मंत्री थोराट के सहयोगी ने कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि यहां लिए जा रहे फैसलों से पहले उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया जाता. थोराट के करीबी सहयोगी ने दावा किया कि थोराट ने कांग्रेस नेतृत्व को लिखे पत्र में प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के साथ काम करने में असमर्थता जाहिर की है और कहा है कि वह (पटोले) उनके प्रति काफी गुस्सा रखते हैं, इसलिए उनके साथ काम करना कठिन होगा.
थोराट ने फैसले लेते समय सलाह नहीं लिए जाने की शिकायत भी की है. पटोले ने संवाददाताओं से कहा कि मुझे नहीं पता कि थोराट साहब ने कौन सा पत्र लिखा है. मैं इस पर तभी बोल सकता हूं जब मुझे पत्र में लिखी गई सामग्री उपलब्ध हो. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि थोराट ने ऐसा कोई पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 13 फरवरी को आयोजित की गई है जिसमें अनेक मुद्दों पर चर्चा कर समाधान खोजने का प्रयास किया जाएगा.
कुछ दिन पहले ही थोराट के रिश्तेदार और नासिक स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से तत्कालीन विधान परिषद सदस्य सुधीर ताम्बे ने कांग्रेस का आधिकारिक उम्मीदवार होने के बावजूद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था और अपने बेटे सत्यजीत ताम्बे को निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ाया. दो फरवरी को घोषित चुनाव परिणाम में सत्यजीत ताम्बे ने जीत हासिल की थी. सूत्रों ने बताया कि इस घटनाक्रम के कारण कांग्रेस को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा, वहीं कंधे की चोट से उबर रहे थोराट की चुप्पी को ताम्बे पिता-पुत्र के मूक समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है.