हैदराबाद: दहेज उत्पीड़न, बाल श्रम, बाल विवाह... ये सोशल कैंपेनर सुरोजू मंजुला द्वारा बनाई गई लघु फिल्मों की कहानी सामग्री हैं. सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए उनका चुना हुआ हथियार लघु फिल्मों का निर्माण है. जन जागरूकता लाने के लिए उठाए गए इन सभी प्रयासों ने कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं. इस बारे में मंजुला ने ईटीवी भारत को जानकारी दी.
मंजुला ने कहा कि 'समाज में कई समस्याएं और कई अन्य विकार हैं... हम उन सभी को देखते हैं. यदि हम उन्हें रोकने का प्रयास नहीं करेंगे तो हमारे जीवन का मूल्य क्या है? इन विचारों ने मुझे लघु फिल्में बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया. हमारा यदाद्री भुवनगिरी जिले का मोथकुर है. मेरा परिवार एक साधारण परिवार है. दादाजी तिरूपति में शिक्षाशास्त्री थे.'
मंजुला ने आगे कहा कि 'वह कहते थे कि हम जो भी करें वह लोगों के काम आना चाहिए, समाज के लिए अच्छा करना चाहिए. उन शब्दों का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा.' मंजुला ने आगे कहा कि 'अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, मैं 1999 में एक अनुबंध शिक्षक के रूप में सोशल वेलफेयर गुरुकुल स्कूल में शामिल हो गई. एक तरफ पढ़ाई जारी रखते हुए, दूसरी तरफ सामाजिक कुरीतियों और अन्य समस्याओं से लड़ने में भी अपनी भूमिका निभाना चाहती हूं.'