हैदराबाद:होम लोन एक लॉन्ग टर्म देनदारी है. इस अवधि के दौरान ब्याज दरें कई बार बढ़ती और गिरती हैं, इसलिए बेहतर है कि लोन लेते समय सावधानी बरतें. तभी कर्ज का बोझ कम होगा और आप अपनी जरूरत की अन्य चीजों के लिए खर्च कर सकेंगे. होम लोन लेने के आखिरी फैसले से पहले कई बातों पर विचार करना जरूरी है. जैसे लोन का अमाउंट क्या है. हमें कितने समय के लिए लोन लेना चाहिए. किस्तों के भुगतान में क्या समस्याएं आ सकती हैं.
सबसे बड़ा सवाल, घर क्यों खरीद रहे हैं. क्या खरीदे गए घर में रहना है या इसे इनवेस्टमेंट के तौर पर खरीदना चाह रहे हैं. अगर आपके पास एक घर है, तो क्या परिवार की जरूरतों के लिए दूसरा घर खरीदने की जरूरत है. अगर आप परिवार के लिए घर खरीद रहे हैं तो उसके आसपास मौजूद सुविधाएं और डिवलेपमेंट के अवसर के बारे में जानकारी जरूर लें. अगर निवेश के नजरिये से घर खरीद रहे हैं तो यह देखें कि एक समय के बाद इससे कितना रिटर्न आ सकता है, ग्रोथ कैसी होगी. अगर घर को किराये पर दिया जाए तो उससे कितना इनकम होगा? इन सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद टैक्स बेनिफिट का आकलन जरूर करें.
ज्यादातर लोग जाने-माने इलाके में सभी सुख-सुविधाओं वाला घर खरीदना चाहते हैं. लेकिन, ऐसे इलाकों में महंगे घर को खरीदने में काफी पैसा खर्च करना पड़ सकता है. इसलिए सबसे पहले हिसाब लगा लें कि आप एक घर पर कितना खर्च कर सकते हैं. घर से जुड़े बाकी खर्चों के बारे में बाद में सोचें? यह मत भूलें कि ख्वाहिश और सही हालात में तथ्यों का फर्क होता है. हम यह सोचकर कर्ज नहीं ले सकते कि भविष्य में आमदनी बढ़ेगी. यह जरूरी है कि घर खरीदना किसी भी हालत में बोझ नहीं बने. इसलिए आपने अपनी आमदनी और जरूरतों के हिसाब से लोन लेने की राशि तय कर रखी है तो उसे घर खरीदने के नाम पर नहीं बदलें. बेवजह बड़ी रकम उधार न लें, ताकि भविष्य में परेशानी न हो.
जब हम एक घर खरीदते हैं तो हमें अपनी बचत से एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है और इसे मार्जिन मनी कहा जाता है. बैंक आमतौर पर घर के मूल्य का 75-90 फीसदी तक लोन देते हैं, बाकी रकम हमें अपनी बचत से देनी होती है. इसके अलावा, रजिस्ट्री और इंटिरियर डेकोरेशन का खर्च भी खुद वहन करना होता है. बैंक मार्जिन मनी का निर्धारण लोन लेने वाले की आयु, क्रेडिट स्कोर, लोन की रकम और होम वैल्यू के प्रतिशत के आधार पर तय करते हैं. इसलिए घर खरीदने की प्लानिंग के दौरान ही यह कैलकुलेट कर लें कि आप कितना खर्च उठा सकते हैं. अपने अन्य फाइनेंशियल गोल को प्रभावित करने के लिए अपने हाथ से सारा पैसा खर्च न करें.
क्रेडिट स्कोर : अधिकांश बैंक वर्तमान में लोन मांगने वाले के क्रेडिट स्कोर के आधार पर मॉरगेट इंटरेस्ट रेट तय करते हैं. कम क्रेडिट स्कोर वाले लोगों से अधिक ब्याज दर वसूलते हैं. इसलिए, यदि आप उच्च ब्याज दर नहीं चाहते हैं, तो अपने क्रेडिट स्कोर को सावधानी से मैनेज करें. 750-800 से अधिक का एक अच्छा स्कोर माना जाता है. अपने क्रेडिट स्कोर को न सिर्फ लोन लेते समय सही स्तर पर बनाए रखें बल्कि उसे तब तक बनाए रखना चाहिए जब तक कि आप ऋण का भुगतान नहीं कर देते.