मदुरै: मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने पत्नियों के मातृत्व काल के दौरान पतियों को छुट्टी देने के लिए एक समर्पित कानून की आवश्यकता व्यक्त की है. अदालत का यह रुख तेनकासी जिले के कदयम पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर पी. सरवनन द्वारा दायर एक मामले की प्रतिक्रिया के रूप में आया है. अपनी याचिका में, सरवनन ने प्रसव के दौरान कृत्रिम रूप से गर्भाधान करने वाली अपनी पत्नी के साथ रहने की छुट्टी मांगी थी.
शुरुआत में अनुमति दिए जाने के बावजूद, बाद में कानून और व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए कदयम पुलिस ने छुट्टी रद्द कर दी थी. इसके बाद, सरवनन ने अपनी छुट्टी रद्द करने के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ से संपर्क किया. मामले की अध्यक्षता कर रही न्यायमूर्ति एल विक्टोरिया गौरी ने बच्चे के जन्म के दौरान पिता की उपस्थिति के महत्व पर प्रकाश डाला.
अदालत ने कहा कि दुनिया भर के विभिन्न देश माता-पिता दोनों को मातृत्व अवधि के दौरान छुट्टी प्रदान करते हैं, जिससे बच्चे के पालन-पोषण में माता और पिता दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया जाता है. भारत में, हालांकि केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियमों में पितृत्व अवकाश के प्रावधान शामिल हैं, लेकिन यह प्रावधान राज्यों में काफी हद तक लागू नहीं है.