नई दिल्ली : भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा का संगठन कमजोर हुआ है लेकिन पार्टी ने अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है. दो दिवसीय सम्मेलन के बाद यह स्वीकार किया गया कि जमीनी स्तर पर पार्टी की कमजोर ताकत को स्वीकार करना यह साबित करता है कि वाम मोर्चे को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) शासित राज्य में अपनी स्थिति सुधारने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक पराजय लंबे समय से राज्य में पार्टी के संगठनात्मक पतन की बात करती है. हमें लगता है कि हमारी पार्टी के साथ-साथ वामपंथियों को भी अपनी स्थिति पर गंभीर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि यह पहली बार नहीं है.
नई दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद अपनाए गए प्रस्ताव में भाकपा ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वामपंथियों की हार हुई. पार्टी ने पश्चिम बंगाल, असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु और केरल सहित पांच राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में अपने परिणाम के बारे में विस्तार से चर्चा की.
भाकपा ने कहा कि हमारी पार्टी की पश्चिम बंगाल राज्य परिषद ने चुनाव परिणामों की समीक्षा की है और अपनी गलतियों की पहचान की है और सुधार के लिए आगे बढ़ रहे हैं. असम चुनाव का जिक्र करते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि जेल में बंद कार्यकर्ता अखिल गोगोई को अपने साथ ले जाने में महागठबंधन की नाकामी की भारी कीमत चुकानी पड़ी.
यहां उल्लेखनीय है कि महागठबंधन (महाजोत) ने कांग्रेस की अगुवाई में भाकपा, एआईयूडीएफ, बीपीएफ ने मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ी. हालांकि किसान नेता और रायजोर के अध्यक्ष डोल अखिल गोगोई को अपनी छत्रछाया में लाने में विफल रहा क्योंकि गोगोई महागठबंधन के तहत एआईयूडीएफ को शामिल करने के विचार का विरोध कर रहे थे. 126 सदस्यीय असम विधानसभा में विपक्षी गठबंधन को 50 सीटें मिलीं.