नशे के मकड़जाल में फंसता जा रहा युवा, जानें डॉक्टर से इससे निकलने का तरीका - ministry of social justice
काम का न काज का, ये नशा है दुश्मन जान का. जी हां, नशा कैसा भी हो इंसान को बर्बाद कर देता है. एक अच्छे खासे इंसान को खोखला करता है. जो इसकी चपेट में आ गया उसकी जिंदगी में ग्रहण लगा देता है, लेकिन नादान उम्र में कई बार सिर्फ दोस्तों में शान बघारने के लिए लिया गया नशा, कब हमारी लत बन जाता है, पता ही नहीं चलता. युवाओं को नशे के इस मकड़जाल से निकालने के लिए ईटीवी भारत की मुहिम (ETV Bharat campaign against drug addiction) में जानिए डॉक्टर की राय.
नशे के मकड़जाल में फंशता जा रहा युवा
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Published : Jul 18, 2021, 10:35 PM IST
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Updated : Jul 19, 2021, 9:39 AM IST
नई दिल्ली: दिल्ली नशे की आदी है. सामाजिक न्याय मंत्रालय (ministry of social justice) से मिली जानकारी के अनुसार यहां के अधिकांश युवा नशे का प्रयोग करते हैं. राजधानी के हाई-फाई क्लब हो या तंग गली या फिर सड़क ही क्यों न हो नशा बैखौफ बेचा जा रहा है. युवा ही नहीं नाबालिग बच्चे भी इस नशे के ग्राहक हैं. दिल्ली में पांच तरह के नशे का प्रकोप है. सबसे अधिक लोग अल्कोहल की गिरफ्त में हैं. इसके बाद हेरोइन, अफीम, कोरेक्स जैसी खांसी की दवा, नशे के इंजेक्शन आदि लेने की लत के शिकार हैं.
जानें डॉक्टर से इससे निकलने का तरीका
दिल्ली में ड्रग हॉटस्पॉट
सुल्तानपुरी, जहांगीरपुरी, इंद्रपुरी, सागरपुर, उत्तम नगर,लक्ष्मी नगर, नंद नगरी, द्वारका, छतरपुर, निजामुद्दीन, मजनू का टीला, पहाड़गंज,कल्याणपुरी, हौज खास गांव और खानपुर, ये वो इलाके हैं जहां गांजे के अलावा दवा के रूप में इस्तेमाल होने वाली नींद की गोलियां, इंजेक्शन आसानी से और सस्ते दाम में मिल जाते हैं.
नशे की लत में पड़े दिल्ली के युवा
दिल्ली में ड्रग्स बरामदगी
हेरोइन
94.276 किलोग्राम
कोकीन
1.035 किलोग्राम
चरस
24.084 किलोग्राम
गांजा
4396.329 किलोग्राम
अफीम
29.164
(दिल्ली पुलिस द्वारा 2020 में की गई बरामदगी)
आखिर दिल्ली में नशे के बढ़ते प्रकोप का कारण क्या है और इसके क्या नुकसान होते हैं. इसके बारे में नशा छुड़ाने वाली संस्था सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मास (SPYM) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. राजेश का कहना है कि आमतौर पर युवाओं को ये लगता है कि नशा करने से वह कूल लगता है. दोस्तों के साथ पार्टी करने एवं मौज-मस्ती करने में उसे आनंद आने लगता है.
kहिए नशे को ना
नशे के जाल में फंसे लोगों को इससे बाहर निकालना नामुमकिन नहीं है. डॉ. राजेश ने बताया कि यूथ नशे के बिना भी अलग-अलग तरीके से यह आनंद हासिल कर सकते हैं. क्रिकेट खेलना, फुटबाल खेलना, डांस, म्यूजिक आदि से जो आनंद आपको मिलता है, वह नशे के छोटे से आनंद से बहुत बड़ा होता है. इससे आपको किसी भी तरह का शारीरिक नुकसान नहीं होता बल्कि आपकी फिटनेस बनती है. उन्होंने बताया कि आज के युवा को चाहिए कि वह नशे की जगह जीवन की अन्य गतिविधियों में आनंद की तलाश करे. इससे वह खुद और उसका परिवार सुखी रहेगा.
नशा शुरुआत में शारीरिक तौर पर नहीं बल्कि मानसिक तौर पर नुकसान पहुंचाता है.
यह नशा करने वाले शख्स के दिमागी सेल को कमजोर बनाता है.
धीरे-धीरे वह अपने सोचने की क्षमता खोने लगता है.
पढ़ने में उसका ध्यान नहीं लग पाता.
नौकरी करने वाला है काम पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाता.
दिल्ली के युवाओं में नशा
सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मास के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. राजेश का कहना है कि नशा के आदी के दिमाग में सोच चलती है कि अगली ड्रग्स की खुराक उसे कब और कैसे मिलेगी. अगर उसे नशे की खुराक नहीं मिले तो वह परेशान होने लगता है. इसके बाद यह नशा उसके शरीर पर प्रभाव डालता है और उसे अलग-अलग बीमारी होने लगती है. वह समाज से कट जाता है.
मादक पदार्थों पर नकेल
उन्होंने बताया कि शुरुआत में कोई शख्स जब किसी भी उम्र में नशा करता है तो वह बीयर, शराब आदि से शुरुआत करता है. धीरे-धीई उसके नशे की खुराक बढ़ती जाती है. लगातार इस नशे को करने से वह आगे ड्रग्स की तरफ बढ़ता है. ड्रग्स का नशा करते हुए भी वह इसकी मात्रा को बढ़ाता जाता है क्योंकि उसका शरीर ज्यादा नशा मांगता है.
पांच साल का ग्राफ
नशे की पूर्ति के लिए पहले तो उसके पास कहीं से रुपये का इंतजाम हो जाता है लेकिन जब उसे ज्यादा खुराक चाहिए तो उसके पास रुपये नहीं होते. ऐसे में वह पहले घर में चोरी करता है. चोरी करके घर का सामान बेचता है. इसके बाद वह घर से बाहर चोरी, झपटमारी एवं लूटपाट करने लगता है. लूटे गए 50 हजार के सामान को भी वह केवल पांच हजार के नशे के लिए बेच लेता है.
नशे की गिरफ्त में जिंदगी
अपराध है ड्रग्स का सेवन करना
डॉ. राजेश ने बताया कि अवैध ड्रग्स का नशा करना अपने आप में एक अपराध है. नशे की तस्करी करने एवं इसका इस्तेमाल करने वाले अपराध कर रहे हैं. NDPS के तहत यह अपराध की श्रेणी में आता है. इसमें सजा के भी सख्त प्रावधान हैं. उन्होंने बताया कि नशे के तस्करों को गिरफ्तार करने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा. इसके लिए नशा करने वालों में सुधार लाना होगा. देशभर में जब नशा करने वाले कम हो जाएंगे तो अपने आप हो ड्रग्स की मांग भी कम हो जाएगी. इसे कोई खरीदेगा नहीं तो नशे का बाजार भी अपने आप बंद हो जाएगा.