देखें क्या कहती है इसरो गर्ल सना और परिजन. भोपाल: सना अली ने आर्थिक तंगी के चलते ट्यूशन पढ़ाकर अपनी फीस भरी और अपने सपनों को उड़ान देने के लिए खूब मेहनत की. सना अली इसरो (ISRO) में टेक्निकल असिस्टेंट (Technical Assistant) के रूप में चयनित होकर ज्वाइन करने जा रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने सना अली और उनके परिवार को बधाई दी है. सना अली एक गरीब परिवार से आती हैं. उनके पिता एक बस ड्राइवर हैं.
सना ने कहा कि मेरे सपनों को साकार करने में उनका अहम योगदान रहा है. मुझे विश्वास है कि एक दिन मैं न केवल अपने पिता का नाम रोशन करूंगी बल्कि मेरा छोटा सा शहर विदिशा और मेरा राज्य मध्य प्रदेश भी मेरी सफलता पर गर्व करेगा. लोग सोचते हैं कि बेटा ही नाम कर सकता है. मैंने भी लोगों को कहते सुना है कि गरीब के बच्चे बड़े नहीं हो सकते. सना का कहना है कि घर का रोजाना का खाना मुझे आगे बढ़ने और पढ़ाई में मेहनत करने की प्रेरणा देता है.
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एक समय था जब मेरी मां को अपने गहने गिरवी रखने पड़े थे और इसीलिए मैंने अपने माता-पिता से वादा किया था कि आपकी मेहनत एक दिन रंग लाएगी. सना ने बताया कि मैं कई बार रोई क्योंकि मेरे पिता को मेरी पढ़ाई के लिए कर्ज लेना पड़ा था. मुझे यकीन है कि अल्लाह मेरे माता-पिता को उनकी मेहनत का इनाम देगा. सना का कहना है कि मेरे भगवान पढ़ाई और मेहनत को कभी बर्बाद नहीं करते.
जब मैं कॉलेज के साथ-साथ पढ़ाई के खर्चे के लिए ट्यूशन देने लगी तो तनाव और चिंता थोड़े कम हुए. अपनी कक्षा की लड़कियों को देखकर कभी-कभी मुझे बहुत रोना आता था क्योंकि उनके कपड़े, उनके स्कूल बैग और उनके लंच टिफिन बिल्कुल अलग होते हैं, जब मैं उनके बीच बैठती हूं तो मेरे घर की गरीबी का पता चलता है, लेकिन मेरे बुलंद सपने मुझे संघर्ष का साहस देते हैं.
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मेरे पिता का बहुत पुराना सपना है कि उनकी बेटी देश की सेवा करे, हालांकि लोग उन्हें बताते हैं कि लड़की को पढ़ाकर क्या करेंगे. लेकिन मेरे पिता का सपना और मेरी मेहनत समाजिक दबावों के बीच चट्टान बनकर खड़े हो जाते हैं. कुछ दिनों में मैं विदिशा के इस छोटे से शहर को छोड़कर ISRO में तकनीकी सहायक के रूप में काम करने जा रही हूं. आज मेरा सपना सच हो गया है. सूची में शामिल होने पर गर्व महसूस हो रहा है, आज अबू और अम्मी के सपने जो वे देखते थे मुझमें सच हो गया है.
कठिनाइयों से भरे अपने सफर की सफलता के बाद मैं अपने समाज की लड़कियों और उनके माता-पिता से कहना चाहती हूं कि परिस्थितियां कैसी भी हों, पढ़ाई और मेहनत एक दिन जरूर रंग लाएगी. सना के पिता सैयद साजिद अली ने कहा कि मैंने अपनी बेटी को कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाया और खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद मैंने हमेशा अपनी बेटी से कहा कि तुम्हें मेहनत करनी है और सफलता हासिल करनी है. सना ने भी खूब मेहनत की है और आज एक ऊंचा मुकाम हासिल किया है जिसकी मुझे बहुत खुशी है.
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