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उत्तराखंड: ठेके पर टीचर रख खुद घर पर करती थीं ठाठ! यूं फंसी

मुख्य शिक्षा अधिकारी पौड़ी डॉ. आनंद भारद्वाज ने थलीसैंण के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बग्वाड़ी का औचक निरीक्षण किया. जहां स्कूल से प्रधानाध्यापिका नदारद मिली. इतना ही नहीं प्रधानाध्यापिका ने अपने स्थान पर पढ़ाने के लिए 2500 रुपए मासिक पर एक लड़की को भी रखा हुआ है. सीईओ के आदेशों के बाद जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा ने प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही उन्हें खंड शिक्षा कार्यालय थलीसैंण अटैच कर दिया गया है.

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Published : Sep 21, 2022, 5:04 PM IST

श्रीनगर:प्रदेश में शिक्षा की स्थिति पर चिंतन तो काफी होता है, लेकिन धरातल पर कभी नहीं उतर पाता. प्रदेश के कई स्कूल शिक्षक विहीन होने से बंद हो चुके हैं, तो कई शिक्षक दुर्गम स्थानों पर जाना नहीं चाहते हैं. कुछ ऐसा ही वाक्या फिर देखने को मिला है, जहां पौड़ी जिले के प्राथमिक विद्यालय बग्वाड़ी से (Government Primary School Bagwadi) से प्रधानाध्यापिका शीतल रावत नदारद मिलीं. इतना ही नहीं, प्रधानाध्यापिका ने अपने स्थान पर पढ़ाने के लिए 2500 रुपए मासिक पर एक लड़की को भी रखा हुआ था. हालांकि, एक्शन के बाद शीतल रावत ने अपनी ओर से सफाई भी दी है.

निरीक्षण के दौरान नदारद मिलीं प्रधानाध्यापिका:मुख्य शिक्षा अधिकारी पौड़ी (Pauri Chief Education Officer) डॉ. आनंद भारद्वाज के निरीक्षण के दौरान इस बात से पर्दा उठा. सीईओ के आदेशों के बाद जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा ने प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही उन्हें खंड शिक्षा कार्यालय थलीसैंण अटैच कर दिया गया है और वेतन भी रोक दिया गया है.

जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा मो. सावेद आलम ने बताया कि मुख्य शिक्षा अधिकारी (Pauri Chief Education Officer) डॉ. आनंद भारद्वाज ने थलीसैंण (Pauri Thalisain Block) के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बग्वाड़ी का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान डॉ. आनंद भारद्वाज ने पाया कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय बग्वाड़ी की प्रधानाध्यापिका शीतल रावत नदारद हैं.

सीईओ ने पूछताछ की तो पता चला कि प्रभारी प्रधानाध्यापिका ने अपनी जगह पर गांव की मधु रावत नाम की एक लड़की को पठन-पाठन के लिए बतौर सहायक शिक्षिका तैनात किया हुआ है. इसके लिए उसे ₹2500 प्रतिमाह दिये जाते हैं.
पढ़ें-पौड़ी जिले में प्रधानाध्यापिका के ठाठ! खुद नहीं पढ़ाती, 10 हजार के ठेके पर रखी टीचर

मामले की गंभीरता और सरकारी कर्मचारी के दायित्वों का सरासर उल्लंघन पाते हुए सीईओ डॉ. भारद्वाज ने उप शिक्षा अधिकारी थलीसैंण विवेक पंवार को मामले के जांच के आदेश दिए हैं और प्रभारी प्रधानाध्यापिका शीतल रावत से भी स्पष्टीकरण तलब किया है. इसके साथ ही उन्हें खंड शिक्षा कार्यालय ने शीतल रावत को निलंबित करते हुए थलीसैंण अटैच कर दिया है. संतोषजनक स्पष्टीकरण मिलने तक शीतल रावत के वेतन पर भी अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी गई है.

प्रधानाध्यापिका शीतल रावत का पक्ष:वहीं, इस एक्शन पर प्रभारी प्रधानाध्यापिका शीतल रावत का कहना है कि वो 2013 से थलीसैंण के इस विद्यायल में सेवारत हैं, और अपने परिवार के साथ यहीं रहती हैं. स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए रखी गयी ट्यूटर को स्कूल प्रबंधन समिति की सहमति से रखा गया है. ये ट्यूटर 2019 से स्कूल में है. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में स्कूल में 48 बच्चे पढ़ रहे हैं, जिनके लिए स्कूल में 2 टीचर और एक ट्यूटर रखी गयी है.

उन्होंने बताया कि सीईओ डॉ. भारद्वाज के निरीक्षण के दौरान वो तीन दिवसीय ब्लॉक स्तरीय संकुल प्रतियोगिता में शामिल होने गईं थी जो ब्लॉक मुख्यालय थलीसैंण में ही था. यहां तक कि इसका विवरण अटेंडेंस रजिस्टर में भी दर्ज है.

ऐसा मामला पहले भी आया है सामने:पौड़ी के ही एकेश्वर ब्लॉक से भी ऐसा ही एक मामले सामने आया था. मई महीने में इस मामले का खुलासा हुआ था. एकेश्वर ब्लॉक के दुर्गम क्षेत्र बंठोली में स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका द्रौपदी मधवाल ने भी अपनी जगह एक प्रॉक्सी टीचर को स्कूल में रखा था. उच्च अधिकारियों के लगातार स्कूल बंद होने की शिकायत मिल रही थी. बार-बार की शिकायत के बाद जब निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि कई बार अकारण ही स्कूल बंद रखा जा रहा था.

यही नहीं प्रधानाध्यापिका ने पठन पाठन के लिए अपनी जगह पर गांव की ही एक युवती को हायर कर रखा था. जो कि विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के सभी विषय पढ़ाती थी. इसके एवज में प्रधानाध्यापिक उसे 10 हजार रुपये प्रति माह देती थी. मामले की गंभीरता के देखते हुए सीईओ व डीईओ बेसिक ने प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर बीईओ कार्यालय एकेश्वर अटैच कर दिया था.

एकेश्वर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली में द्रौपदी मधवाल पिछले चार साल से तैनात थीं. इस प्रधानाध्यापिका का हर महीने का वेतन 70 हजार के करीब है. द्रौपदी मधवाल कोटद्वार की रहने वाली हैं. दुर्गम स्थल में तैनाती उनको रास नहीं आ रही थी. ऐसे में वो घर बैठे वेतन उड़ा रही थीं.

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