नई दिल्ली : बायजू कंपनी की शुरुआत करने वाले बायजू रविंद्रन की पत्नी दिव्या मात्र 34 साल की हैं लेकिन उनकी कुल संपत्ति 3.05 अरब डालर यानि के 22.3 हजार करोड़ रुपये है. शुरूआत में बतौर छात्रा रविंद्रन से ट्यूशन पढ़ने के लिए गई थीं लेकिन बाद में दोनों ने शादी कर ली और मिलकर कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.
आज दिव्या अपने पति के साथ कंपनी की कमान संभाल रही हैं और उसके बोर्ड में भी शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि फोर्ब्स की सूची में उनके 39 वर्षीय पति, टेक उद्यमी और बायजू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बायजू रविंद्रन इस सूची में अपनी पत्नी के बाद सबसे कम उम्र के तीसरे भारतीय अरबपति हैं. एक समय में गणित का ट्यूशन पढ़ाने वाले रविंद्रन ने 2011 में ऑनलाइन एजुकेशन कंपनी की नींव रखी थी.
बेंगलुरु में जन्मीं दिव्या के पिता अपोलो अस्पताल में गुर्दा रोग विशेषज्ञ हैं और उनकी मां दूरदर्शन में प्रोग्राम एक्जिक्यूटिव के तौर पर काम कर चुकी हैं. अपने माता- पिता की इकलौती संतान दिव्या को उनके पिता ने शुरुआत में साइंस की शिक्षा दी थी.
उन्होंने फ्रैंक एंथनी स्कूल के बाद आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बायोटेक्नोलॉजी में बी.टेक किया. इसके बाद विदेश में पढ़ाई करने के मकसद से जीआरई (ग्रेज्युएट रिकॉर्ड एग्जामिनेशन) की तैयारी के सिलसिले में उनकी मुलाकात अपने भावी जीवनसाथी बायजू रविंद्रन से हुई.
पढ़ाई के प्रति उनकी जिज्ञासा देखकर रविंद्रन ने उन्हें शिक्षण के पेशे में आने को प्रोत्साहित किया. दिव्या ने 2008 में बतौर टीचर अपना कैरियर शुरू किया. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि शुरुआत में जिन छात्रों को वह ट्यूशन पढ़ाती थीं, वह उनसे उम्र में कुछ ही साल छोटे थे. इसलिए थोड़ा परिपक्व नजर आने के लिए वह साड़ी पहनकर क्लास में जाती थीं.
गणित, अंग्रेजी और लॉजिकल रीजनिंग उनके पसंदीदा विषय हैं. जीआरई परीक्षा पास करने के बाद अमेरिका के कई शीर्ष विश्वविद्यालयों में उन्हें दाखिला मिल गया था लेकिन दिव्या ने देश में ही रहकर रविंद्रन के साथ मिलकर काम करने का रास्ता चुना. इस फैसले के पीछे दिव्या गोकुलनाथ का कहना है कि इस दौरान उन्हें टीचिंग से प्यार हो गया था और माता पिता की इकलौती संतान होने के कारण उन्होंने विदेश जाने के बजाय बेंगलुरु में उनके पास ही रहना उचित लगा.
दिव्या और रविंद्रन के दो बेटे हैं एक करीब आठ साल और एक करीब आठ महीने का है. शिक्षण और अपने छात्रों के प्रति दिव्या की प्रतिबद्धता को इसी बात से समझा जा सकता है कि जब वह अपने बड़े बेटे के जन्म के समय मातृत्व अवकाश पर थीं तो जब उनका बेटा सो जाता था तो वह छात्रों के लिए वीडियो रिकॉर्ड करती थीं. ट