कोलकाता/धनबादः उन दिनों ब्रिटिश हुकुमत ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को घर में नजरबंद कर दिया था, लेकिन जो पूरे देश को आजाद करने का सपना देख रहे हों, उन्हें भला ये कैसे मंजूर होता. सुभाष चंद्र बोस ने एक पठान का वेश लिया और अपनी कार बीएलए 7169 में बैठकर ब्रिटिश एजेंटों की आंखों में धूल झोंकते हुए कोलकाता की सीमा से ओझल हो गए. नेताजी के भतीजे डॉ. शिशिर बोस रातभर कार चलाते रहे और धनबाद पहुंच गए.
डॉ. शिशिर बोस के बेटे सुगातो बसु ने ईटीवी भारत को बताया कि 16-17 जनवरी की रात करीब एक बजकर पैंतीस मिनट पर नेताजी अपने कमरे से बाहर निकले, घर के नीचे आए. उनके पिता नेताजी को कार में बिठाकर ले गए. वे रातभर कार चलाते रहे जबतक कि वे धनबाद के पास बरारी नाम की जगह तक नहीं पहुंचे.
धनबाद के गोमो में देखे गए आखिरी बार
महानिष्क्रमण से पहले सुभाष चंद्र बोस आखिरी बार धनबाद के गोमो में देखे गए थे. नेताजी के मित्र शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के पोते शेख मोहम्मद फखरुल्लाह ने ईटीवी भारत को बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी कई बार उनके दादा से मिलने वेश बदलकर आया करते थे. 18 जनवरी 1941 की सुबह नेताजी पठान के वेश में आए. शेख अबदुल्ला से मुलाकात के बाद उन्हें अमीन नाम के एक दर्जी ने रात करीब 12 बजे गोमो स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर खड़ी कालका मेल में बिठाया.