नई दिल्ली :संसद के सोमवार से शुरू हुए मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई. इसे देखकर लगता है कि पूरा सत्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा क्योंकि इस सत्र के दौरान सरकार लगभग 40 बिल पारित कराना चाहती है. हालांकि विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र को कई बार स्थगित करना पड़ा.विपक्ष पूरी तरह से लामबंद नजर आ रहा है और अलग-अलग विपक्षी पार्टियां अलग-अलग मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहीं हैं.
कभी राज्यसभा तो कभी लोकसभा में विपक्षी पार्टियों ने जमकर हंगामा किया. यही नहीं संसद की परंपरा को तोड़ते हुए विपक्षी पार्टियों ने तब भी नारेबाजी और सरकार का विरोध किया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में नवनिर्वाचित मंत्रियों का परिचय कराने के लिए उठे. इसकी सत्तापक्ष ने आलोचना की और इसे संसद के इतिहास में परम्परा के खिलाफ बताया.विपक्षी पार्टियां पेगासस जासूसी मामला के अलावा सरकार की कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के तरीके, पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहीं हैं.
सरकार रचनात्मक चर्चा करेगी तभी संसद चल पाएगी : कांग्रेस
वहीं कांग्रेस का कहना है कि कोरोना का प्रबंधन, चीन के मुद्दे, किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी सहित कई मुद्दों पर उनकी पार्टी चर्चा कराना चाहती है और यदि सरकार हर दिन रचनात्मक चर्चा करने के लिए तैयार होगी तो संसद चल पाएगी वरना सरकार संसद को नोटिस बोर्ड की तरह ना चलाएं. साथ ही कांग्रेस नेता शशि थरूर का ये बयान कहीं ना कहीं विपक्षी पार्टियों की आक्रामकता को साफ कर देता है इस सत्र में इस बार सरकार को बिल पास कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
प्रधानमंत्री के उठते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया
संसद की परंपरा के मुताबिक जब नई सरकार बनती है या फिर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है उसके बाद नए मंत्रियों की शपथ होती है और शपथ के बाद प्रधानमंत्री अपने मंत्री परिषद के सदस्यों का परिचय कराते हैं. लेकिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे ही बोलने के लिए उठे विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया. कांग्रेस के सांसद जहां महंगाई पर हंगामा कर रहे थे वहीं बहुजन समाज पार्टी के सांसद किसानों के मुद्दे पर और अकाली दल भी किसानों के मुद्दे पर सरकार को वेल में आकर घेरने की कोशिश कर रहे थे.