नयी दिल्ली: इस बात को ध्यान में रखते हुए कि नेपाल से आने वाली घटिया गुणवत्ता वाली चाय ने दार्जिलिंग और असम की चाय के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया है, केंद्र सरकार ने चाय के सभी वितरकों और ब्लेंडरों से चाय उत्पाद की उत्पत्ति के स्रोत को स्पष्ट रूप से इंगित करने के लिए कहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बुधवार को ईटीवी भारत को बताया कि चाय के सभी वितरकों और ब्लेंडरों को पैकेजिंग में स्पष्ट रूप से इंगित करना चाहिए कि मिश्रित चाय की सामग्री आयात की जाती है, आयातित चाय की उत्पत्ति का स्रोत देते हुए चाहे आयातित चाय सीधे खरीदी गई हो या किसी मध्यस्थ के माध्यम से खरीदी गई हो.
अधिकारी ने कहा कि वितरण के लिए भारत में चाय का आयात करने वाले सभी आयातकों को भारत में ऐसी चाय के प्रवेश के 24 घंटे के भीतर आयातित चाय के भंडारण के स्थान के बारे में निकटतम चाय बोर्ड कार्यालय को सूचित करना आवश्यक था. गौरतलब है कि चाय खरीदारों को दार्जिलिंग, कांगड़ा, असम (रूढ़िवादी), नीलगिरी (रूढ़िवादी) की चाय के साथ आयातित चाय नहीं मिलाने का निर्देश दिया गया है.
अधिकारी ने कहा कि हालांकि, दार्जिलिंग, कांगड़ा, असम (रूढ़िवादी) और नीलगिरी (रूढ़िवादी) जैसे भौगोलिक प्रेरण (जीआई) चाय होने का दावा नहीं करने वाला कोई भी अंतिम उत्पाद इस निर्देश के दायरे में नहीं आएगा. अधिकारी ने कहा कि वाणिज्य विभाग ने भी एफएसएसएआई से अनुरोध किया है कि नेपाल से चाय के आयात की अनुमति 3 कांड कस्टम स्टेशनों जोगबनी, पानीटंकी और रक्सौल से दी जाए.