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4 इंसानों के शिकारी टाइगर 'उस्ताद' को मिली ऐसी सजा....कि छिन गया जंगल, 6 साल से जिंदगी गुमनाम - 4 इंसानों के शिकारी टाइगर 'उस्ताद' को मिली ऐसी सजा

ईटीवी भारत की टीम उस्ताद के हालात जानने के लिए पहुंची. टाइगर उस्ताद के केयरटेकर राम सिंह ने बताया कि पहले की तुलना में उस्ताद में काफी बदलाव देखने को मिले हैं. उसका विशेष तौर से हर रोज ध्यान रखा जा रहा है. उस्ताद के भोजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

टाइगर उस्ताद
टाइगर उस्ताद

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Published : Sep 5, 2021, 2:04 AM IST

उदयपुर : रणथंभोर अभ्यारण्य में 4 लोगों का शिकार करने के बाद टाइगर उस्ताद एक सनसनी बन गया था. इस नरभक्षी बाघ को 2015 में रणथंभोर नेशनल पार्क से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया. किसी वक्त रणथंभोर में उस्ताद की दहाड़ से पूरा जंगल थर्रा उठता था. उदयपुर शिफ्ट किये जाने के बाद से यह टाइगर कई बीमारियों से जूझा, उसने कमबैक भी किया लेकिन खुले जंगल के बाघ की जिंदगी अब सीमित एंक्लोजर में सिमट गई है.

उस्ताद नाम का टाइगर टी-24 पिछले 6 साल से गुमनामी की जिंदगी जी रहा है. उसे सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के नॉन डिस्प्ले एरिया में रखा गया है जो करीब तीन हजार वर्ग मीटर का है. इसमें एक पिंजरानुमा कमरा बना हुआ है. भोजन की गाड़ी जब पिंजरे में आती है तो उस्ताद खुले एरिया से कमरे में आ जाता है. उसे पुकारा जाता है तब भी वह रेस्पॉन्स करता है. उस्ताद 10 मिनट में अपना खाना खत्म कर लेता है. उसके हिंसक स्वभाव और बीमारियों के देखते हुए उसे हड्डी वाला मीट न देकर कीमा दिया जाता है.

नरभक्षी बाघ उस्ताद अब एंक्लोजर में है.

उस्ताद...नाम ही काफी है

जंगल और जंगली जीवों से खास लगाव रखने वाले लोग उस्ताद का नाम भली भांति जानते हैं. उस्ताद का नाम ही उसका पूरा परिचय है. लेकिन नॉन डिस्प्ले एरिया में कैद होने के कारण 6 साल से आम लोग इस टाइगर का दीदार नहीं कर पाए हैं. दरअसल 6 साल पहले उस्ताद आदमखोर हो गया था. इस टाइगर ने चार इंसानों का शिकार किया था. इस घटना के बाद टाइगर टी-24 को रणथंभोर से सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया था.

6 साल में बदल गया बाघ का जीवन

पिछले 6 साल में उस्ताद के जीवन पर काफी असर पड़ा है. अब उस्ताद खुली आबोहवा में विचरण तो करता है लेकिन उसका विचरण एक सीमित क्षेत्र तक सिमट गया है. उस्ताद अब बहुत कम दहाड़ता है. एंक्लोजर के आस-पास किसी नए चेहरे को देखकर वह बेचैन हो जाता है. यह वही टाइगर है जिसने इंसानों का स्वाद चखा है. इसलिए उसे इंसानों की आवाजाही से दूर रखा गया है. बहुत कम लोग हैं जो उसके आस-पास रहते हैं. उसके केयर टेकर राम सिंह बताते हैं कि वह अब अटैकिंग नहीं रहा है.

हड्डी वाला मीट नहीं, कीमा दिया जा रहा

ईटीवी भारत की टीम उस्ताद हालात जानने पहुंची. उस्ताद के केयरटेकर राम सिंह ने बताया कि पहले की तुलना में उस्ताद में काफी बदलाव आए हैं. उस्ताद के भोजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. उसे हर रोज 6 किलो कीमा, आधा किलो पपीता, कद्दू, 4 लीटर सूप दिया जा रहा है. टाइगर को दवाइयां भी नियमित तौर पर दी जा रही हैं. ताकि उस्ताद का स्वास्थ्य दुरुस्त बना रहे.

टाइगर उस्ताद को कमरेनुमा पिंजरे में बंद नहीं रखा जाता. सर्दी, गर्मी, बारिश हर मौसम में उस्ताद खुले में ही रहना पसंद करता है. राम सिंह बताते हैं कि जब उस्ताद को भोजन देने के लिए बुलाते हैं तो वह अपने आप आ जाता है. भोजन के बाद यह भी ध्यान रखा जाता है कि उसने कितना भोजन किया. उस्ताद की हर रोज की गतिविधि पर नजर रखी जाती है.

जंगल से एंक्लोजर तक का सफर.

शुरूआत में था चिड़चिड़ा व्यवहार, अब एडजस्ट किया

पहले यह टाइगर अचानक डर जाता था. उसका व्यवहार बदल जाता था. वह चिड़चिड़ा व्यवहार करता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. उस्ताद अब अपनी दिनचर्या खुद तय करता है. जब उसका नहाने का मन करता है वह पानी में अठखेलियां करता है, जब सोने का मन करता है तो वह पेड़ की छांव में आराम करता है. बायोलॉजिकल पार्क के रंजन ने बताया कि फिलहाल उस्ताद की स्थिति अच्छी है. कई बार उसके स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव आया लेकिन अब ऐसी दिक्कत नहीं है. रणथंभोर में वह काफी हिंसक हो गया था लेकिन अब धीरे-धीरे नॉर्मल हो रहा है.

कई बार बिगड़ी तबियत, विशेषज्ञों की देखरेख में इलाज

सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में उस्ताद की तबीयत कई बार बिगड़ी. विशेषज्ञों की देख-रेख में उसका इलाज किया गया. अब उसे हर रोज दवाई दी जा रही है. रणथंभोर से सज्जनगढ़ शिफ्ट होने के दौरान उस्ताद का जीवन बदल गया. शुरू में उसे एडजस्ट करने में दिक्कत आई. लेकिन बाद में उस्ताद धीरे-धीरे सामान्य हो गया. उसे कई बार गंभीर बीमारी और संक्रमण का भी सामना करना पड़ा, लेकिन हर बार उसने बीमारियों को मात दी. डीएफओ अजीत उचोई कहते हैं कि यह बाघ 9-10 साल जंगल में रहा है. वहां इसने लोगों का शिकार किया. अब भी यह थोड़ा हिंसक है ही. कह नहीं सकते कि इसे जंगल में छोड़ दिया जाए तो ये कैसा बिहेव करेगा.

रणथंभोर की खुली आबोहवा में इंसानों पर हमला करने के बाद उस्ताद पर आदमखोर होने का ठप्पा लग गया. इस कलंक के साथ वह सवाई माधोपुर के रणथंभोर अभ्यारण्य से उदयपुर के एक छोटे से एंक्लोजर में कैद कर दिया गया. इस सजा ने जंगल के राजा का रुतबा और ओरिजनल दहाड़ ही छीन ली. उस्ताद के चाहने वालों की मांग है कि जल्द से जल्द इस टाइगर को खुले जंगल में छोड़ दिया जाए.

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