26 जुलाई 2021, सोमवार शाम असम और मिजोरम सीमा विवाद ( Assam Mizoram Border dispute) का मसला हिंसक हो गया. दोनों राज्यों की पुलिस के बीच लैलापुर में आपसी झड़प हो गई. इस दौरान गोलीबारी भी हुई, जिसमें असम पुलिस के 5 जवान शहीद हो गए, जबकि 50 से ज्यादा जवान गंभीर रूप से जख्मी हो गए. ऐसा नहीं है सोमवार को अचानक असम और मिजोरम के पुलिसकर्मी उग्र हो गए. पिछले अक्टूबर में लैलापुर (असम) में ही दो बार झड़पें हुईं थीं.
इस घटना से सभी स्तब्ध हैं. राहुल गांधी ने इस विवाद के लिए भाजपा की नीतियों को जिम्मेदार बताया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वसरमा ने इस घटना के लिए मिजोरम पुलिस की आलोचना की है. फिलहाल केंद्र ने इस मामले में दखल दिया है और लैलापुर में सीआरपीएफ तैनात है.
अंग्रेजों के जमाने में ही पड़ गई थी विवाद की नींव :इस विवाद को खड़ा करने वाले अंग्रेज ही थे. आजादी के बाद सिर्फ मिजोरम ही नहीं, नगालैंड, अरुणाचल और मेघालय भी असम का हिस्सा रहे. असम से कब अलग हुए, आगे बताएंगे. असम के इतने बड़े इलाके में कई ट्राइब्स के लोग रहते थे. मिजो, नगा, खासी, जयंतिया, गारो जैसे कई ट्राइब्स. इन ट्राइब्स का अपना इलाका भी था, जिसे हिल्स कहते थे. जैसे नगा हिल्स, जयंतिया हिल्स. मिजो लोगों का रिहायशी इलाका लुशाई हिल्स था, जो असम के कछार जिले में आता था. जब ट्राइबल अस्मिता की बात हुई तब अंग्रेजों ने 1875 में उनके इलाकों का सीमांकन किया. लुशाई पहाड़ियों और कछार मैदानों के बीच की सीमा खींची गई.
असम और मिजोरम का लैलापुर बॉर्डर, जहां दो राज्यों की पुलिस के बीच गोलीबारी हुई
1933 की अधिसूचना को नहीं मानता मिजोरम :फिर आया 1933 का दौर, जब मणिपुर की रियासत ने बॉर्डर के मसले को उठाया. अंग्रेजों ने एक बार फिर बॉर्डर पर सीमा रेखा खींची. 1933 की अधिसूचना के जरिए लुशाई हिल्स और मणिपुर का सीमांकन किया गया. मिज़ो लोग इस सीमा को स्वीकार नहीं करते हैं. मिजोरम के नेताओं का कहना है कि मिजो समाज से सलाह नहीं ली गई थी, इसलिए वह 1933 की अधिसूचना को नहीं मानते. जबकि असम सरकार इस अधिसूचना का पालन करती है. जब 1972 में मिजोरम को असम से अलग किया गया था, तब दोनों राज्यों में नो मेंस लैंड को बरकरार रखने पर सहमति बनी थी.
दोनों राज्यों के तीन-तीन जिले आपस में मिलते हैं :असम और मिजोरम की सीमा 164.6 किलोमीटर लंबी है. असम की बराक घाटी के जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडीए मिजोरम के तीन जिलों से मिलते हैं. मिजोरम का आइजोल, कोलासिब और मामित इलाका असम से जुड़ता है. मिजोरम का दावा है कि उसके लगभग 509 वर्गमील इलाके पर असम का कब्जा है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वसरमा ने गोलीबारी में शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी
विवाद की जड़ में कई अन्य कारण भी हैं
- जो राज्य असम से अलग हुए, वे अपने सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान पर पुरानी छाप नहीं दिखाना चाहते हैं. इसका मनोवैज्ञानिक असर छोटे-मोटे विवादों पर पड़ता है.
- पहाड़ी इलाकों में खेती योग्य जमीन पर सबकी नजर रहती है. आज के दौर में यह इलाके कमर्शल वैल्यू भी रखते हैं. इस कारण जमीन का विवाद दो राज्यों के लिए बड़ा हो जाता है
- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में इनर लाइन परमिट प्रणाली लागू है. इन राज्यों में जाने के लिए असमिया लोगों को भी परमिट लेनी पड़ती है जबकि वे लोग बिना रोकटोक असम आते हैं. इसके खिलाफ असम में माहौल भी है.
सिर्फ मिजोरम से ही नहीं है असम का विवाद :आजादी के बाद उत्तर पूर्वी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को असम से अलग किया गया था. जिसके बाद साल 1963 में नगालैंड, साल 1972 में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम बने. असम से अलग होकर बनने वाले चारों राज्यों में से तीन से सीमा विवाद काफी लंबे समय से जारी है.
असम से अलग होकर नगालैंड बना और विवाद शुरू हो गया
1 दिसंबर 1963 को असम से अलग होकर नगालैंड 1 दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ का 16वां राज्य बना. ये दोनों राज्य 434 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं. स्थापना के साथ ही दोनों राज्यों में सीमा विवाद शुरू हो गया. असम शिवसागर, जोरहाट और गोलाघाट के उन हिस्सों पर अपना हक जताता है, जिस पर अभी नगालैंड का कब्जा है. केंद्र ने 1971 में सुंदरम आयोग और 1985 में शास्त्री आयोग का गठन करके इस उथल-पुथल को हल करने की कोशिश की थी. दोनों आयोग ने असम के पक्ष में फैसला दिया, जिसे नगालैंड ने मानने से इनकार कर दिया. फिलहाल यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
असम और अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है
पूर्वोत्तर पुनर्गठन अधिनियम, 1971 में असम को बांटकर 21 जनवरी 1972 से दो केंद्र शासित बनाए गए. मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश . 20 फरवरी 1987 को अरुणाचल प्रदेश भारतीय संघ का 24वां राज्य बनाया गया. गठन के बाद अरुणाचल ने असम पर अतिक्रमण का आरोप लगाया. 1992 में सीमा विवाद के कारण पहली बार हिंसा हुई. 2005 में अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले में आगजनी हुई. असम की पुलिस पर 100 धरों को जलाने के आरोप लगे. 2007 में दोनों राज्यों के लोगों के बीच झड़प हुई. 2006 में, सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की सीमाओं की पहचान करने के लिए आयोग का गठन किया. यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है.
असम और मेघालय में मिहिर हिल्स को लेकर कायम है विवाद
21 जनवरी 1972 को असम के दो बड़े जिलों संयुक्त खासी हिल्स एवं जयंतिया हिल्स को अलग कर मेघालय का गठन किया गया. तब से ही असम और मेघालय के बीच विवाद शुरू हुआ. मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती दी और मिकिर हिल्स पर अपना दावा जताया. दोनों राज्यों के बीच 2008 में तनाव उस समय बढ़ गया, जब असम सरकार ने लंगपीह में प्राइमरी हेल्थ सेंटर बनाने की कोशिश की. हालांकि, दोनों राज्यों के बीच सीमा पर 12 स्थानों पर नियमित रूप से झड़पें होती रहती हैं. दाराकोना में गारो और राभा कम्यूनिटी के बीच कई बार झड़पें हो चुकी हैं, जिनमें करीब10 लोग मारे जा चुके हैं.
बेलगाम में मराठी भाषा बोलने वालों की तादाद काफी है
बेलगाम मुद्दे पर महाराष्ट्र और कर्नाटक आज भी झगड़ जाते हैं
1 नवंबर 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत तत्कालीन मैसूर राज्य में बॉम्बे प्रेसिडेंसी, हैदराबाद, मद्रास और कूर्ग के कुछ हिस्सों को जोड़ा गया. इसके तहत बेलगाम, कारवार, गुलबर्गा और बीदर के 865 मराठी भाषी गांवों को मैसूर राज्य में मिला दिया गया. इसके विरोध में स्वतंत्रता सेनानी सेनापति बापट आमरण अनशन पर बैठ गए. तब केंद्र सरकार ने अक्टूबर 1966 में चीफ जस्टिस मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में कमेटी बनाई. महाजन आयोग ने महाराष्ट्र की ओर से दावा किए गए 865 में से 264 गांवों को देने की सिफारिश की, जिसमें बेलगाम शामिल नहीं था. बेलगाम को लेकर आए दिन दोनों राज्यों में विवाद होता है. 1973 में मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया.
मानगढ़, जिस पर गुजरात भी अपना दावा करता है
मानगढ़ हिल को लेकर गुजरात और राजस्थान में होती है तू तू-मैं मैं
गुजरात और राजस्थान के बीच विवाद दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित मानगढ़ हिल को लेकर है. गुजरात आधी पहाड़ी पर दावा करता है, जबकि राजस्थान का दावा है कि पूरी पहाड़ी उसकी है. विवाद 40 साल पुराना है, हालांकि इस समय पहाड़ी पर राजस्थान सरकार का नियंत्रण है.