श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर): जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की 553वीं जयंती धार्मिक उल्लास के साथ मनाई गई. मंगलवार की सुबह घाटी में कड़ाके की ठंड के बावजूद सिख समुदाय के लोग नए कपड़े पहनकर गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों पर उमड़ पड़े. श्रीनगर में सबसे बड़ा आयोजन माउंट मारन की तलहटी में सिखों के प्रसिद्ध छठे पदशाही गुरुद्वारे में आयोजित किया गया था, जहां हजरत महबूब अल-आलम शेख हमजा मखदूमी (आरए) की दरगाह और शारिका देवी का मंदिर पास में स्थित है.
मंगलवार सुबह से ही बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों समेत सिख श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे में आना शुरू कर दिया था. इस मौके पर सिख श्रद्धालुओं के लिए विशेष लंगर का भी आयोजन किया गया. छठे पादशाही गुरुद्वारा समारोह की शैली में बारामूला, त्राल, जवाहर नगर, बडगाम, सनत नगर, बरजला और घाटी के अन्य स्थानों पर भी समारोह आयोजित किए गए.
दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा और मटन में विशेष समारोह आयोजित किए गए जहां गुरु नानक देव जी लद्दाख के रास्ते चीन जाने से पहले कुछ समय के लिए रुके थे. जम्मू क्षेत्र से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, गुरु नानक देवजी का जन्मदिन भी धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया. श्री गुरु नानक देवजी गुरुद्वारा चांदनगर जम्मू समेत शहर के सभी गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस अवसर पर रागी जत्थों ने भजन कीर्तन कर भक्तों का मनोरंजन किया.
इस अवसर पर वक्ताओं ने गुरु नानक देव के जीवन और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला और कहा कि गुरु नानक देव एक महान संत थे और उनकी शिक्षाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रकाशस्तंभ होंगी. उन्होंने देश में आपसी भाईचारे और आपसी सहिष्णुता के संबंधों को मजबूत करने के लिए गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का पालन करने का आह्वान किया. इस अवसर पर विशेष लंगर का भी आयोजन किया गया.