हैदराबाद :श्रीराम चक्रधर नाम के एक युवक ने हमारी पौराणिक कथाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए इसे सामान्य भाषा में प्रस्तुत किया है. उसने अपने संकलन का नाम 'तावास्मि रामायण' रखा है. इसमें रामायण की कहानियों को संकलित किया गया है. कहानियों के इस संग्रह के पीछे चक्रधर की मेहनत साफ झलकती है.
रामायण और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्य सामाजिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देते हैं. ये दिखाते हैं कि परिवार और समाज के साथ संबंध कैसे बनाए जाने चाहिए. यही कारण है कि श्रीराम चक्रधर, बच्चों को उनके जीवन के शुरुआती चरणों में ऐसी पुस्तकों से परिचित कराने के इच्छुक हुए.
चक्रधर मूलतः प्रोद्दातुर के रहने वाले हैं. उन्होंने BITS Pilani से स्नातक किया है. बाद में उन्होंने ओरेकल और ब्रावो लुसी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया. आकर्षक नौकरी और अच्छी तनख्वाह के बावजूद वे असंतुष्ट महसूस कर रहे थे. उन्हें लगा कि मोटी कमाई करने से ज्यादा संतुष्ट रहना जरूरी है. इसी खोज के साथ उन्होंने अध्यापन को पेशे के रूप में अपना लिया.
उन्होंने जब बच्चों के साथ घुलना-मिलना शुरू किया, तो वे उनके लिए कुछ खास करने को उत्सुक हो गए. उन्होंने स्वामी चिन्ना जीयर से इसका उल्लेख किया और जिन्होंने बदले में बच्चों के लिए रामायण और महाभारत की कहानियों को सरल भाषा में संकलित करने की सलाह दी. वे इन कहानियों के ज्ञान को बच्चों के करीब लाने के लिए दृढ़ थे.
चक्रधर ने इन महाकाव्यों पर 8 वर्षों तक गहन शोध किया और सह-लेखक शारदा दीप्ति की मदद से, जिसे हम अब थावस्मि रामायण (Thavaasmi Ramayana) के नाम से जानते हैं, तैयार किया. शारदा बिट्स पिलानी में चक्रधर के कॉलेज मेट थे.
शारदा ने भी 5 साल तक एक आईटी पेशेवर के रूप में काम किया और आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. फिर थावास्मि रामायण लिखने के लिए दोनों ने हाथ मिलाया और पुस्तक को एक संक्षिप्त तरीके से लिखा गया. जिससे इसे वयस्क और बच्चे भी आसानी से समझ सकें.
उन्होंने कहा कि हिंदू पौराणिक कथाओं महाभारत और रामायण ने हमें कई मूल्य सिखाए हैं. उन्होंने हमें भाइयों, पिता-पुत्र, पति-पत्नी के संबंधों और उनके मूल्यों के बारे में सिखाया. वे हमें यह जानने में भी मदद करते हैं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है. पौराणिक कथाओं की मदद से हम अच्छे और बुरे में अंतर कर सकते हैं. अगर हम बच्चों को इन पौराणिक कथाओं से परिचित कराते हैं तो उनका भविष्य सभ्य और अच्छा होगा.
पुस्तक के लेखक श्रीराम चक्रधर ने कहा कि इससे वे जानेंगे कि लोगों को कैसे महत्व देना है और बड़ों का सम्मान कैसे करना है. युवावस्था में किसी को चोट पहुंचाए बिना अपने जीवन को अच्छे तरीके से जीना है. रामायण में ज्यादातर लोग केवल भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के बारे में जानते हैं.