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SC ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु के मंत्री की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट से तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी और उनकी पत्नी को आज बड़ा झटका लगा है. अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी है. (SC junks TN minister Ponmudi plea-Tamil Nadu minister Ponmudi's disproportionate assets case)

Thank God We have judges like Justice Venkatesh SC junks plea TN minister against HCs on revision in DA case
SC ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु के मंत्री की याचिका खारिज की

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 6, 2023, 2:08 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी और उनकी पत्नी की याचिका खारिज कर दी. मंत्री ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में बरी किए जाने के बाद मद्रास हाईकोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेने के आदेश को चुनौती दी थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'भगवान का शुक्र है! हमारी न्यायपालिका में न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश जैसे न्यायाधीश हैं.'

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकीलों को स्पष्ट कर दिया कि चूंकि मामला उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ के समक्ष लंबित है, इसलिए वह इस मामले पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी पेश हुए. वकील ने उच्च न्यायालय के आदेश की वैधता पर सवाल उठाया और इस बात पर जोर दिया कि आदेश उन्हें नोटिस जारी किए बिना पारित किया गया था.

विपरीत पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि राज्य सरकार आश्चर्यजनक रूप से आरोपियों के साथ मिली हुई है और अदालत से न्याय मित्र की नियुक्ति के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा सरकारी वकील को पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एकल न्यायाधीश अभी भी 10 अगस्त के आदेश के संबंध में कार्यवाही पर विचार कर रहे हैं और हम इस वर्तमान चरण में विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. अगली कार्यवाही शुरू होने पर याचिकाकर्ता एकल न्यायाधीश के समक्ष सभी उचित शिकायतों का आग्रह करने के लिए स्वतंत्र हैं. हम स्पष्ट करते हैं कि किसी भी आरोपी की आपत्तियों पर विचार किया जाएगा. याचिका खारिज की जाती है.

सुनवाई के दौरान विपरीत पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील बालाजी श्रीनिवासन ने कहा कि इसी तरह की याचिका डॉक्टरेट ऑफ विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ने भी दायर की है. इसे भी खारिज किया जाना चाहिए. हालांकि, पीठ ने कहा कि चूंकि डीवीएसी का प्रतिनिधित्व यहां नहीं है और याचिका में खामियां हैं, इसलिए इसे सामान्य तरीके से आने दें.

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न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने अपने आदेश में स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि 28 जून को वेल्लोर प्रमुख जिला अदालत द्वारा पारित बरी आदेश से पता चलता है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में हेरफेर करने और उसे नष्ट करने का एक चौंकाने वाला और सुविचारित प्रयास किया गया. यह मामला परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान 1996 से 2001 के बीच पोनमुडी की आय से अधिक संपत्ति के संबंध में है.

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