गांधीनगर: गुजरात में हर साल करीब 1000 बच्चे थैलेसीमिया बीमारी के साथ पैदा होते हैं. राज्य में अगला बच्चा थैलेसीमिया बीमारी से दुनिया में न प्रवेश करे, इसके लिए गुजरात सरकार ने खास प्लानिंग की है, जिसमें अब मानसून सत्र में राज्य सरकार द्वारा थैलेसीमिया विधेयक विधानसभा सदन में पारित कराया जाएगा.
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल राज्य में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के जन्म के लिए सरकार आगामी विधानसभा सत्र में विशेष थैलेसीमिया विधेयक सदन में पेश कर पारित करेगी. इस विधेयक में यह प्रावधान किया जाएगा कि युवक-युवती को शादी से पहले थैलेसीमिया की रिपोर्ट देनी होगी. इसके अलावा विवाह प्रमाण पत्र बनवाने के लिए थैलेसीमिया की रिपोर्ट सरकारी कार्यालय में जमा करानी होगी.
जानकारी के मुताबिक गुजरात में आने वाले दिनों में अगर युवक और युवती दोनों को थैलेसीमिया मेजर है तो वे शादी के योग्य नहीं हैं. लेकिन अगर वे फिर भी शादी कर लेते हैं, तो उन्हें राज्य सरकार द्वारा विवाह प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा. साथ ही थैलेसीमिया माइनर वाले युवक-युवतियों की शादी नहीं हो सकती है क्योंकि लड़के और लड़कियों दोनों के आने वाले बच्चे में थैलेसीमिया मेजर हो सकता है. इसमें यह भी प्रावधान होगा कि थैलेसीमिया माइनर और सामान्य व्यक्ति की शादी हो सकती है, लेकिन थैलेसीमिया मेजर और माइनर थैलेसीमिया वाले युवक और युवती दोनों के लिए बिल में विशेष प्रावधान किया जाएगा.
थैलेसीमिया पर पीएचडी कर रहे डॉक्टर रवि धनानी ने बताया कि वर्तमान में गुजरात में थैलेसीमिया से करीब 12 हजार मरीज प्रभावित हैं, जबकि गुजरात में हर साल करीब 150 से 200 नए मरीज दर्ज होते हैं. अगर राज्य सरकार नियम लाती है तो लोगों को इसकी जानकारी होगी और लोग शादी से पहले टेस्ट कराएंगे, तो ऐसे मरीजों की संख्या गुजरात में बहुत कम होगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह बहुत आवश्यक कदम उठा रही है. गौरतलब है कि रवि धनानी खुद थैलेसीमिया मेजर हैं और रवि धनानी को थैलेसीमिया पर काम करने के लिए वर्ष 2020 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
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