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Jhiram Ghati naxal attack: झीरम घाटी जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ा, जांच पूरी नहीं होने के कारण फैसला - Jhiram Ghati naxal attack

देश के सबसे बड़े नक्सली हमले यानी झीरम घाटी नक्सली अटैक को लेकर जांच करने वाली कमेटी का कार्यकाल 6 महीने बढ़ा दिया गया है. इस हमले में छत्तीसगढ़ के बड़े कांग्रेस लीडर्स की मौत हुई थी. हमले को लेकर बीजेपी सरकार पर कई आरोप भी लगे थे. इस नरसंहार का असली सच 10 साल बाद भी सामने नहीं आ पाया है. Tenure of Jhiram inquiry commission extended

Jhiram Ghati naxal attack
झीरम घाटी जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ा

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Published : Feb 8, 2023, 9:09 PM IST

रायपुर : देश को झकझोर देने वाले झीरम घाटी कांड को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. राज्य सरकार ने झीरम न्यायिक जांच का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. बताया जा रहा है कि आयोग ने जांच पूरा नहीं होने का आधार बनाया है. इसी आधार पर राज्य शासन ने झीरम न्यायिक जांच का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया. जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाने की सूचना राजपत्र में प्रकाशित की गई है.


क्या था झीरम घाटी का मामला : 25 मई 2013 का वह दिन था. छत्तीसगढ़ में उस दौरान भाजपा की सरकार थी. कॉन्ग्रेस ने परिवर्तन यात्रा निकाली थी. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के अलावा बड़ी संख्या में इस यात्रा में कांग्रेस कार्यकर्ता भी मौजूद थे. उनकी यात्रा दरभा घाटी पहुंची थी उसी दौरान घात लगाए बैठे नक्सलियों ने परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला कर दिया.

कई कांग्रेसी नेताओं की हुई थी मौत: इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा समेत 29 नेताओं और कई सुरक्षाकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल को भी गोलियां लगी थी. जिनका उपचार के दौरान मौत हो गई थी. इस नरसंहार के 10 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन अब भी झीरम के जख्म हरे हैं.



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10 साल से चल रही जांच :25 मई 2013 को झीरम घाटी में कांग्रेसियों की हत्या कर दी थी. नक्सलियों की ये वारदात देश का सबसे बड़ा नरसंहार था. 10 साल बाद आज 2023 में भी घटना की जांच चल रही है. वर्तमान में नक्सली घटना कि जांच के लिए सिक्किम उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सतीश के. अग्निहोत्री की अध्यक्षता में पुनर्गठित दो सदस्यीय न्यायिक आयोग के कार्यकाल को फिर से 6 माह के लिए बढ़ा दिया गया है.

बीजेपी ने सरकार पर लगाए आरोप : मामले और बस्तर की राजनीति को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा है. कौशिक ने कहा कि ''झीरम मामले में कांग्रेस सरकार और मुखिया केवल राजनीति कर रहे हैं. प्रभावितों के परिवार को न्याय मिले उनकी सोच नहीं है. इस लिए सरकार को बार- बार समय बढ़ाने की जरूरत पड़ रही है. सरकार बोलती है कि उनके जेब में साक्ष्य है, लेकिन सवाल यही है कि, जब उनके जेब में साक्ष्य है तो वे उसे क्यों नहीं निकाल रहे हैं. सरकार जानबूझकर इसे चुनाव तक टालना चाहती है. सरकार को न्याय से कुछ लेना देना नहीं है. स्पष्ट है कि, सरकार झीरम को लेकर केवल राजनीति कर दूसरे को बदनाम करना चाहती है.''

भाजपा ने कभी बस्तर नहीं छोड़ा :पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने बस्तर की राजनीति को लेकर कहा कि, भाजपा ने बस्तर कभी नहीं छोड़ा है. एक समय में बस्तर के कारण ही भाजपा की सरकार बनी थी. बस्तर आज कांग्रेस के विरोध में खड़ा हो गया है. अब बस्तर करवट ले रहा है. आने वाले 2023- 24 में बस्तर निर्णायक स्थिति में रहेगा. भाजपा की सरकार बनेगी उसमें बस्तर की बड़ी भूमिका होगी. आगे कौशिक ने कहा कि ''जहां हमारे लोकसभा सांसद नहीं है वहां राष्ट्रीय स्तर के नेता दौरा कर रहे हैं. कोरबा में जिस तरह अमित शाह आए थे, बस्तर में राष्ट्रीय अध्यक्ष दौरे पर आने वाले हैं. 2024 में हम बस्तर सीट भी जीतेंगे और 2023 में भी अधिकांश विधानसभा भारतीय जनता पार्टी जीत कर आयेगी.''

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